नोखा। प्रतिबंध के बावजूद पॉलिथीन कैरी बैग का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। जहां एक ओर दुकानदार लोगों को पॉलिथीन बैग में सामान देने से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं जागरूकता की कमी या आदत कहें, ग्राहक भी पॉलिथीन में सामान लेने से नहीं मान रहे हैं। प्रतिबंध के बाद पॉलिथीन पर प्रतिबंध को लेकर शहर में नगर पंचायत द्वारा कार्रवाई शुरू की गई थी तो शहरी क्षेत्र में 90 फीसदी तक पॉलिथीन के उपयोग पर रोक लगी थी। किंतु प्रशासनिक सुस्ती के कारण खुलेआम धड़ल्ले से पॉलिथीन का उपयोग व बिक्री फिर से जारी है। बतादें कि दिसम्बर-2018 में राज्य सरकार ने पॉलिथीन पर बैन लगाया था। नगर पंचायत के अधिकारी ने बड़े पैमाने पर पॉलिथीन बैग जब्त किया था और हजारों रुपये के जुर्माने भी वसूले थे। अभियान को सफल बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया था। शुरू में पॉलीथिन प्रतिबंध को लेकर दुकानदारों व ग्राहकों में डर भी था किंतु अब यह डर दुकानदारों वह ग्राहकों में समाप्त हो चुका है।

कूड़ों पर प्लास्टिक थैली का अम्बार धड़ल्ले से प्लास्टिक इस्तेमाल का सबसे बड़ा सबूत यह है कि दुकानों के सामने या कूड़े के ढेर पर पॉलिथीन की अधिक मात्रा में थैली फेंकी हुई मिल रही है। इन प्लास्टिक की थैलियों को जाने-अनजाने में मवेशी भी खा रहे हैं, जो उनके लिए घातक साबित हो रहा है। फिलहाल सब कुछ ठंडे बस्ते में है और दुकानदार व ग्राहक पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की योजना का बंटाढार । प्लास्टिक के प्रयोग से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाव को लेकर यह सार्थक कदम उठाया गया था। बढ़ते प्लास्टिक कचरे को जलाने से मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव की समस्या के समाधान की भी सोच साथ ही थी। पॉलीथिन पर रोक के दायरे में दुकानदार, थोक व खुदरा विक्रेता, व्यापारी, फेरी वाला, सब्जी वाला समेत तमात लोग आते थे, जिनपर उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई हो सकती थी। लेकिन अब सब हवा-हवाई हो चुकी है।

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