रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है नारायण से दूर नहीं रह सकती – राधाकिशोरी जी
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 22 नवम्बर 2022 : पटना : कबीरपंथी मठ फतुहां में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन व्यासपीठ पर कथाव्यास सुश्रीराधाकिशोरी जी का स्वागत अभिनंदन एवं व्यासपूजन मठ के संरक्षक महन्थ ब्रजेश मुनि, राघोपुर के पूर्व विधायक सतीश कुमार , भाजपा नेता आदित्य प्रसाद , समाजसेवी राजेश्वर राय, न्यास समिति के सदस्य विवेक मुनि, श्रीमती शारदा देवी, भाजपा नेत्री शोभा देवी, शोभा चौधरी ने किया।
उन्होंने छठे दिन की कथा का प्रसंग वर्णन करते हुए राधाकिशोरी जी ने कहा कि भगवान की महारास लीला इतनी दिव्य है कि स्वयं भोलेनाथ उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए गोकुल पहुंच गए। मथुरा गमन प्रसंग में अक्रूर जी भगवान को लेने आए। जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा जाने लगे समस्त ब्रज की गोपियां भगवान कृष्ण के रथ के आगे खड़ी हो गईं। कहने लगी हे कन्हैया जब आपको हमें छोड़कर ही जाना था तो हम से प्रेम क्यों किया। गोपी उद्धव संवाद, श्री कृष्ण एवं रुकमणी विवाह उत्सव पर मनोहर झांकी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर अनेक भजन गाकर राधा किशोरी जी ने श्रद्धालुओं का दिल जीता। रुक्मिणी विवाह की मनोरम झाँकी प्रस्तुत की गयी।
लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि रास तो जीव का शिव के साथ मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है गोपी गीत पर बोलते हुए उन्होंने कहा –
जब तब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाता है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं, उसे दर्शन देते है।
भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण हकर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती।