आज दिनांक 30-11 -2020 दिन सोमवार जगत गुरु गुरु नानक पातशाही जी का 551 वा पावन प्रकाश उत्सव सारे विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है उसी कड़ी में आज सासाराम के ऐतिहासिक गुरुद्वारा चाचा फगुमल साहिब जी में तीन दिवसीय समारोह आयोजित किया गया है जिसका आज मुख्य दीवान अमृत वेले सुबह 4:00 बजे से शहंशाह दरवेश साहिब श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के आगमन के साथ गुरबाणी की पाठ से हुई वही तख्त हरमंदिर जी पटना साहिब से आए हुए हजूरी रागी जत्था भाई साहब भाई हरभजन सिंह जी ने मनमोहन गुरूवाणियोनियोका कीर्तन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया गुरबाणी कीर्तन के साथ-साथ आपने जगत गुरु गुरु नानक पातिशाही जी के जीवन दर्शन से संगत को जोड़ा आपने बताया गुरु जी ने विश्व के अनंत किलोमीटर की पैदल यात्रा की जिनके बारे में आज भी सोच कर आश्चर्य होता है जबकि आजकल हर तरह के आवागमन के वैज्ञानिक साधन उपलब्ध है गुरु जी की धर्म प्रचार यात्राओं में ऐसी कोई चीज बाधक नहीं बनी गुरुजी जब तिब्बत का भ्रमण किया तो उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर तिब्बतियों ने गुरु जी को नानक लामा कह कर संबोधित किया वही जब गुरुजी अरब देश पहुंचे वहां उन्हें हजरत बाबा नानक कह कर संबोधित किया गया गुरु जी जहां भी गए वहां के लोगों का उन्होंने अपने प्रवचनों द्वारा मन जीत लिया उनकी युक्ति तथा तर्कसंगत विचारधारा से लोग बहुत प्रभावित हुए उनके सिद्धांत जात पात रंगनाथ लिंगभेद ऊंच-नीच देशकाल अमीर गरीब इत्यादि मतभेदों से ऊपर थे मानव अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष करने के लिए उन्होंने घरेलू सुखों का त्याग भी किया दिन भर चल रहे कार्यक्रमों के क्रम में गुरु का अटूट लंगर निरंतर चलता रहा आज विशेष तौर पर संपूर्ण नानक नाम लेवा गुरु घर में मत्था टेकने के लिए उमड़ पड़े थे आज सासाराम के हर गलियों में जहां गुरु नानक पातशाही जीके अनमोल वचन की धूनी गूंज रही थी वही गुरुद्वारा साहिब में निरंतर कार्यक्रम धाराप्रवाह चल रहे थे संध्या 6:00 बजे से प्रकाश उत्सव का मुख्य धीमान प्रारंभ हुआ जिसमें गुरुद्वारा चाचा घूमर साहिब जी के हजूरी रागी जत्था भाई सब भाई विकास सिंह भाई साहब भाई गुरप्रीत सिंह भाई पंकज सिंह जी ने गुरबाणी का गायन किया वही बहनों की जत्था खुशबू कौर ने भी अपने जत्थे के साथ हाजिरी भरी हजूरी रागी जत्था तक हरमंदिर जी पटना साहिब संध्या समय के मुख्य दीवान में शब्द कीर्तन व्याख्या के साथ अपनी हाजिरी मरते हैं गुरु चरणों से लोगों को कर्मकांड से रहित जीवन जीने का आह्वान किया एवं गुरु गुरु जी की प्रेरणा स्रोत गुरबाणी ‘हक पराया नानकाउस सूअर उसुगाय गुरु पिरू हांमा ता भरे जा मुरदारू न खाई “गुरूवाणी के कीर्तन के क्रम में आपने भाई साहब भाई गुरदास जी के अनमोल शब्द ‘सतिगुरू नानक प्रगटिआ मिटी थुधं जग चानण होआ” शबद का गायन किया जिससे सारा संसार प्रकाश प्रकाश समय होता है