आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 20 फरवरी 2024 : रोहतास के परसथुआ में आयोजित भव्य श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में अंतर्राष्ट्रीय संत एवं विद्वत सम्मेलन को संबोधित करते हुए परम परिव्राजक संत श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि राष्ट्र शरीर है और संस्कृति उसका प्राण। सम्मेलन के लिए निर्धारित विषय ‘राष्ट्र निर्माण में धर्म एवं संस्कृति की भूमिका’ पर विचार व्यक्त करते हुए स्वामी जी ने कहा कि संस्कृति का मतलब है करुणा, दया, शांति, सहिष्णुता आदि मानव धर्म जो एक राष्ट्र के वास्तविक परिचय हैं। धर्म के बिना राष्ट्र की कल्पना असंभव है। लोगों का धर्ममय जीवन हीं राष्ट्र का निर्माण करता है जिसके लिए आवश्यक है कि हम अपने समस्त कर्मों को परमात्मा को अर्पण कर दें। उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में यज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यज्ञ न केवल व्यक्ति और समाज को संस्कारित करता है और उन्हें सत्पथ पर ले जाता है बल्कि समानता और समन्वय की प्रेरणा देकर समरसता की स्थापना करता है।

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स्वामी जी ने यज्ञ समिति के अध्यक्ष एवं पंडित गिरीश नारायण मिश्र महाविद्यालय परसथुआं के सचिव मंजीव मिश्र और समिति के सदस्यों को कठिन परिश्रम से महायज्ञ को सफल बनाने के लिए आशीर्वाद दिया। अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ज्योतिर्विद शिवपूजन शास्त्री ने कहा कि राष्ट्र का अर्थ एक भूगोल विशेष नहीं बल्कि समान विचार और मान्यताओं का समुच्चय है। उन्होंने राष्ट्र रक्षा में बलिदानों की शाश्वत परंपरा का उल्लेख करते हुए जीयर स्वामी जी को सनातन संस्कृति एवं धर्ममय जीवन की पुनर्स्थापना का पुरोधा बताया। जगद्गुरू रामानुजाचार्य उद्धव प्रपन्न स्वामी, स्वामी जी के परमशिष्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीअयोध्यानाथ स्वामी, श्री वैकुंठनाथ स्वामी श्रीरंगनाथ स्वामी एवं गिरिधर शास्त्री ने राष्ट्र एवं धर्म के अन्योन्याश्रय संबंध के विभिन्न पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए सद्गुरु की प्राप्ति और प्रेरणा को व्यक्ति एवं राष्ट्र निर्माण का प्रमुख तत्व प्रतिपादित किया।

हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर एवं प्रसिद्ध ज्योतिर्विद डा. धीरेन्द्र मनीषी ने हिन्दी, अंग्रेजी एवं संस्कृत भाषाओं में विषय के विभिन्न पहलुओं का विद्वतापूर्ण विवेचन किया। उन्होंने शरणागति एवं प्रपत्ति को व्यक्ति एवं राष्ट्र के उत्थान का परम कारक बताया। रेडक्रास सोसायटी के सचिव प्रसून कुमार मिश्र ने संस्कृति निर्माण के विभिन्न चरणों की चर्चा करते हुए धर्ममय जीवन की स्थापना और राष्ट्र निर्माण के लिए श्रीजीयर स्वामी जी द्वारा किए जा रहे अहर्निश प्रयत्नों का उल्लेख करते हुए स्वामी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। प्रसिद्ध कथावाचक विजय कौशिक ने राष्ट्र निर्माण में सद्गुरु की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए संत विद्वानों ने विषय की बहुआयामी व्याख्या करते हुए सनातन धर्म के उत्थान और धर्ममय समाज और राष्ट्र के निर्माण में स्वामी जी के महत्वपूर्ण योगदान को स्वर्णाक्षरों में अंकित किए जानेवाला तथा स्तुत्य बताया। आयोजन समिति अध्यक्ष मंजीव मिश्र ने आगत संत विद्वानों का स्वागत अभिनंदन किया और उनके प्रति कृतज्ञता जतायी। प्रसिद्ध समाजसेवी अनिल तिवारी, जितेन्द्र उपाध्याय, छोटेलाल शुक्ल, मुखिया उपेन्द्र पाण्डेय, मुखिया अमरेन्द्र कुमार सिंह, यज्ञेश त्रिपाठी, रजनीश ओझा सहित हजारों श्रद्धालु-भक्तों द्वारा सम्मेलन की पूर्णता पर जय श्रीलक्ष्मीनारायण के उद्घोष से दिगंत गूंज उठा।

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