नादों में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की दूसरे दिन स्वामी जी ने दिया उपदेश

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 27 मार्च 2022 : करगहर(रोहतास)। संसार से मोहभंग किए बिना परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं।एक तरफ संसार से मोह और दूसरी तरफ परमात्मा की प्राप्ति ये कभी संभव नहीं है।यह एक नदी के दो किनारे हैं।इसलिए परमात्मा की प्राप्ति के लिए संसार से मोहभंग करना ही होगा।प्रखंड क्षेत्र के नादो गांव में रविवार को श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दूसरे दिन लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी ने अपने उपदेश में कहीं।उन्होंने कहा किजितनी भी सुख सुविधाओं की इच्छा करेंगे उतना ही आप परमात्मा से दूर होते चले जाएंगे।संसार में रहिए परिश्रम कीजिए जीविकोपार्जन कीजिए गृहस्थ आश्रम में रहिए लेकिन ध्यान परमात्मा में लगाए रखिए तभी कल्याण संभव है।प्रकाश वही देता है जो स्वयं प्रकाशित होता है।जिसका इंद्रियों और मन पर नियंत्रण होता है।जो इंद्रियों और मन को बस में करके सदाचार का पालन करता है वही समाज के लिए अनुकरणीय होता है।केवल वेश-भूषा,दाढ़ी-तिलक और ज्ञान-वैराग्य की बाते करना वो संत की वास्तविक पहचान नहीं।उन्होंने कहा कि विपत्ति में धैर्य, ,धन, पद और प्रतिष्ठा के बाद मर्यादा के प्रति विशेष सजगता,इंद्रियों पर नियंत्रण और समाज हित में अच्छा कार्य करना आदि साधु के लक्षण है।श्री जीयर स्वामी जी ने कहा कि मूर्ति की पूजा करनी चाहिए मूर्ति में नारायण वास करते हैं।मूर्ति भगवान का अर्चावतार है।मंदिर में मूर्ति और संत का दर्शन आंखे बंद करके नहीं करना चाहिए।मूर्ति से प्रत्यक्ष रूप से भले कुछ न मिले लेकिन मूर्ति दर्शन में कल्याण निहित है।एकलव्य ने द्रोणाचार्य की मूर्ति से ज्ञान और विज्ञान को प्राप्त किया है।श्रद्धा और विश्वास के साथ मूर्ति का दर्शन करना चाहिए।स्वामी जी ने कहा कि काम,क्रोध,लोभ मोह,मद्यऔर मत्सर से बचना चाहिए ये आध्यात्मिक जीवन के रिपु हैं।मत्सर का अर्थ करते हुए स्वामी जी ने बताया कि उसका शाब्दिक अर्थ द्वेश-विद्वेष एवं ईष्या भाव है।दूसरे के हर कार्य मे दोष निकालना और दूसरे के विकास से नाखुश होना मत्सर है।मानव को मत्सरी नही होना चाहिए अगर किसी मे कोई छोटा दोष हो तो उसकी चर्चा नही करनी चाहिए।जो लोग सकरात्मक स्वभाव के होते हैं वे स्वयं सदा प्रसन्नचित्त रहते हैं।इसके विपरीत नकारात्मक प्रवृत्ति के लोगों का अधिकांश समय दूसरे में दोष निकालने और उसकी प्रगति से ईर्ष्या करने में ही व्यतीत होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network