प्रखंड क्षेत्र के नादो गांव में पांच दिवसीय लक्ष्मी नारायण महायज्ञ शुरू

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 25 मार्च 2022 : करगहर (रोहतास)। मनुष्य को सबसे पहले अपने बारे में मनन चिंतन करना चाहिए मैं कौन हूं, इस धरती पर मैं क्यों आया हूं, किस लिए आया हूं, मुझे क्या करना चाहिए, दूसरों के साथ क्या व्यवहार करना चाहिए। प्रखंड क्षेत्र के नादो गांव में आयोजित श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ कलश यात्रा के पूर्व संध्या पर लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य ईश्वर का अंश है न कि ईश्वर। उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा नदी से एक लोटा जल लेकर बाहर आने पर वह गंगाजल कहलाता है न की गंगा नदी। ठीक उसी प्रकार ईश्वर का अंश मानव है। मनुष्य का कार्य है कि वह अपनी मानवता को समझे। जो व्यक्ति अपने बारे में पूरी तरह मनन चिंतन करते हुए यह समझ ले कि मैं कौन हूं तो उस व्यक्ति से कभी भी अहित कार्य नहीं हो सकता है। लेकिन धन, बल, वैभव जिस मनुष्य के पास हो जाता है वह यही समझता है कि मैं सब अच्छा हूं। उन्होंने रामचरितमानस में उद्धृत वर्णन को बताते हुए कहा कि एक बार हनुमान जी से पूछा गया यह कौन है तो उन्होंने कहा कि मैं प्रभु का सेवक हूं। हनुमान जी हमेशा सेवक बन कर रहे। फल स्वरूप वे आज भी पूजनीय है। वही रावण अपने आप को ईश्वर समझने लगा जिसके कारण उसका विनाश हो गया। इसलिए मनुष्य को भगवान के चरणों में अपने आप को समर्पित कर देना चाहिए और वेद, शास्त्र, उपनिषद्, पुराण सहित सनातन धर्म ग्रंथों में वर्णित आदेशों का पालन करना चाहिए। तभी मनुष्य को आत्मिक सुख प्राप्त हो सकता है। स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य सुख शांति की चाहत में कई कुकर्म भी कर डालता है लेकिन उसे दुख के बजाय सुख नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा में बढ़ोतरी तो हुई है, धन संपदा भी बड़ा है। लेकिन तकरीबन सभी घरों में संस्कार में कमी आई है। जिस व्यक्ति और परिवार में संस्कार नहीं वह जीवन पूरी तरह बेकार साबित होता है। ऐसा देखा जा रहा है कि परिवार में संस्कार ना होने के कारण पति -पत्नी, बाप- बेटा, भाई -बहन, पुत्र – माता के पीछे लड़ाई झगड़ा होते रहता है। लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सबको सादर आमंत्रित करते हुए उन्होंने कहा कि जो भारतीय संस्कृति एवं वेद परंपराओं का आदर आदर करते हैं वह इस यज्ञ में आए। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है। मानव कल्याण एवं सनातन धर्म की रक्षा के लिए इस तरह के यज्ञ कराया जा रहा है। सभी मानव आपस में भाईचारा के साथ जीवन व्यतीत करते हुए देश की मान मर्यादा विश्व स्तर पर बढ़ाने में सहभागी बने।

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