आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 29 अक्टूबर 2022 : श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने छठ पर्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने लोगों को समझाते हुए कहा कि विश्व का सबसे पवित्र व्रत है छठ। जिसमें सूर्यनारायण की आराधना की जाती है जो सूर्यनारायण हर प्राणियों को तेज और ऊर्जा प्रदान करते हैं। जितने भी लोग ओज और तेज से संपन्न हैं सबके मूल प्रेरक सूर्यदेव हीं हैं। सूर्य देव माता अदिति और कश्यप ऋषि के पुत्र हैं कश्यप ऋषि का पावन आश्रम बक्सर है। बक्सर में बावन भगवान का भी जन्म हुआ था। वामन भगवान सूर्य देव के सहोदर भाई हैं इतना ही नहीं बक्सर विश्वामित्र जैसे महर्षि की तपोभूमि एवं शताब्दी के सबसे महान मनीषी संत परम पूज्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज का आश्रम भी रहा है अतः बक्सर सभी छठ व्रत करने वाले व्रतियों का अराध्य एवं आदर का स्थान है। जो भी छठ व्रत करता है सब का संबंध बक्सर से है क्योंकि सूर्य नारायण देव का जन्म स्थली बक्सर ही है। अतः समस्त विश्व को बक्सर के पावन भूमि के तरफ से मंगल कामना है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि छठ व्रत हमें जीवन में स्वच्छता का संदेश देता है कि जीवन में साफ-सफाई का कितना महत्व है। छठ पर्व पर पूरा देश स्वच्छ हो जाता है गली-गली साफ हो जाता है घर-घर में शुद्धता आ जाती है हर एक प्राणियों का मन पवित्र हो जाता है। जिसका शरीर शुद्ध नहीं रहता वह दूर दूर तक पास जाने से भयभीत रहता है। छठ पर्व की ऐसी महिमा है। त्रेता में श्री रामचंद्र तथा माता जानकी ने भी छठ व्रत किया था द्वापर में पांडवों ने भी छठ व्रत किया था। सदियों से छठ व्रत करने की प्रथा आ रही है। छठ पर्व चार दिवसीय होता है जिसमें व्यक्ति अपने आप को मन क्रम वचन से पवित्र कर लेता है। ऐसा माना जाता है कि जो सच्चे मन से भगवान सूर्य को अर्घ्य देता है उसके जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और उस पर श्री लक्ष्मी नारायण भगवान की कृपा बनी रहती है। भगवान सूर्य की कृपा से व्यक्ति के जीवन में ओज तथा तेज प्रकाशित होता है। जितना भी मनुष्य के अंदर ज्ञान और विज्ञान का प्रसार होता है वह भगवन सूर्य देव के प्रकाश के कारण ही होता है। सूर्योदय के समय सूर्य भगवान के प्रकाश में ऐसी शक्ति होती है कि जो भी इसे ग्रहण किया वह प्रकाशमान बन गया। पुराणों में ऐसा माना जाता है कि जो सुबह सुबह सूरज की लाली को देखता है और उगते हुए सूरज को देखता है उसके जीवन में उजाला भर जाता है।अत: हर एक प्राणी को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उगते हुए सूरज का दर्शन करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति चहुमुखी विकास करने लगता है।