आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 02 मई 2022 : नई दिल्ली : हनुमान चालीसा विवाद को लेकर राणा दंपति ने फिर से मुंबई सत्र न्यायालय (एमपी-एमएलए कोर्ट) में जमानत याचिका डाली थी, जिस पर शनिवार को सुनवाई हुई। इस दौरान उनके वकील ने इसे झूठा मामला बताते हुए जमानत की मांग की। हालांकि मुंबई पुलिस की ओर से लगातार इसका विरोध किया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया, जो 2 मई को सुनाया जाएगा।

सुनवाई के दौरान राणा दंपति के वकील अबाद पोंडा ने कहा कि अगर हमने मस्जिद के बाहर हनुमान चालीसा का जाप करने का आह्वान किया होता, तो मैं समझ सकता था कि इससे धार्मिक तनाव पैदा हो सकता था, लेकिन मातोश्री के बाहर इसका जाप करने का आह्वान करने से कोई सांप्रदायिक तनाव नहीं होता। उन्होंने आगे कहा कि केवल अपराध करने का इरादा रखने वाले को दंडित नहीं किया जा सकता है। कुछ मंशा को अंजाम देने और वास्तव में अपराध करने पर दंडित किया जा सकता है।

वहीं राणा दंपति पर राजद्रोह का भी मामला चल रहा है। इस पर उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना लोकतंत्र का सार है। राणा दंपति मातोश्री के पास अकेले गए थे। उनका उद्देश्य हिंसा करना नहीं था और ना ही उनके साथ कोई कार्यकर्ता था। वहां पर प्रदर्शन शिवसैनिक कर रहे थे, ऐसे में यहां राजद्रोह जैसा कोई मामला नहीं बनता है।

वहीं अबाद पोंडा ने आगे कहा कि नवनीत राणा और रवि राणा के ऊपर झूठे इल्जाम लगाए गए हैं। पुलिस ने भी उनकी कस्टडी नहीं मांगी, जिस वजह से वो अब तक न्यायिक हिरासत में हैं। जिन्हें पुलिस आरोपी बता रही वो चुने हुए प्रतिनिधि हैं और जमानत मिलने पर कहीं भागेंगे नहीं। इसके अलावा उनकी एक 8 साल की बेटी भी है, जिस वजह से दोनों को सशर्त जमानत मिल सकती है।

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