आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 23 फरवरी 2023 : चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह शिवसेना और उसका चुनाव चिन्ह धनुष- तीर उद्धव ठाकरे के गुट के बजाय एकनाथ शिंदे गुट को आवंटित कर दिया था। चुनाव आयोग के इस फैसले को पक्षपातपूर्ण बताते हुए उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर बुधवार को कोर्ट में सुनवाई भी हुई। वहीं चुनाव आयोग के फैसले के इतने दिनों बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया है।
एनसपी नेता शरद पवार ने कहा कि चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले एक फैसला दिया था। यह एक उदाहरण है कि कैसे एक संस्था का दुरुपयोग किया जा सकता है। हमने चुनाव आयोग का ऐसा फैसला कभी नहीं देखा। बालासाहेब ठाकरे ने अपने आखिरी दिनों में कहा था कि उनके बाद उद्धव ठाकरे को शिवसेना की जिम्मेदारी दी जाएगी।
बता दें चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे के गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी का ‘धनुष और तीर’ चिन्ह आवंटित करने के बाद एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा था शिवसेना को चुनाव आयोग का फैसला मानना चाहिए और अपनी पार्टी का नया चुनाव चिन्ह स्वीकार करना चाहिए। इशरद पवार ने उद्धव ठाकरे से चुनाव निकाय के फैसले को स्वीकार करने और एक नया प्रतीक लेने के लिए कहा था। वहीं अब पवार ने चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाया है और केंद्र सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया है कि वो चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को भी अपने हित में उपयोग कर रहे हैं।
पवार ने बुधवार को कहा अपने अंतिम दिनों में बालासाहेब ठाकरे ने कहा था कि शिवसेना की जिम्मेदारी उनके बाद उद्धव ठाकरे को दी जानी चाहिए। चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया और शिवसेना और उसका चुनाव चिह्न किसी और को दे दिया। यह राजनीतिक दलों पर बड़ा हमला है। पवार ने मोदी सरकार पर हमला बोलत हुए कहा ‘आज चुनाव आयोग और अन्य संगठन वही फैसले दे रहे हैं जो सत्ताधारी सरकार चाहती है।
जबकि शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सलाह दी थी कि चुनाव आयोग का फैसला है। एक बार फैसला हो जाने के बाद कोई चर्चा नहीं हो सकती। इसे स्वीकार करें और एक नया प्रतीक लें। इसका पुराने चुनाव चिह्न का नुकसान कोई बड़ा प्रभाव नहीं होने वाला है क्योंकि लोग नए प्रतीक को स्वीकार करेंगे।
शरद पवार ने ठाकरे को समझाने के लिए कांग्रेस पार्टी के निशान का एक उदाहरण दिया था कि कैसे पार्टी के प्रतीक में बदलाव लोगों को प्रभावित नहीं करेगा। दिग्गज नेता ने उद्धव ठाकरे से कहा था “कांग्रेस के पास ‘दो बैल एक जुए के साथ’ प्रतीक हुआ करते थे। बाद में उन्होंने ‘हाथ’ को एक नए प्रतीक के रूप में अपनाया और लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। इसी तरह, लोग उद्धव ठाकरे गुट के नए प्रतीक को स्वीकार करेंगे।