सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ बोले-सभी सुख-साधनों का त्याग कर सेठ गोविंद दास ने देश और हिन्दी-सेवा का व्रत ले लिया

सुधा सहाय के कहानी-संग्रह पल दो पल का हुआ लोकार्पण 

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 15 अक्टूबर 2022 : पटना। माहात्मा गांधी के आह्वान पर भारत के जिन महान त्यागियों ने अपना ऐश्वर्यपूर्ण सुखमय जीवन का त्याग कर देश-सेवा के लिए समर्पित हो गए, उनमे सेठ गोविंद दास का नाम परम श्रद्धेय है। स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान और उसके बाद राष्ट्रभाषा हिन्दी और हिन्दी साहित्य के आंदोलन को सेठ गोविंद दास का बहुत बड़ा संबल प्राप्त हुआ। इस हेतु उन्होंने अपना तन, मन ही नहीं सारा धन भी लगा दिया। यह बातें शनिवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी-जगत सेठ जी के अवदान को कभी भूल नहीं सकता। हिन्दी भारत की राष्ट्र-भाषा हो,वे इसके प्रबल समर्थक थे। उनकी साहित्यिक प्रतिभा भी उच्च कोटि की थी। वे एक सफल नाटककार और उपन्यासकार थे। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। वे १९४७ से लगातार १९७४ तक, जबतक जीवित रहे, जबलपुर से भारत के संसद-सदस्य रहे। साहित्य और शिक्षा में उनके अवदान को देखते हुए उन्हें पद्मभूषण के अलंकरण से भी विभूषित किया गया।

इस अवसर पर पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमरेश कुमार लाल ने, विदुषी लेखिका सुधा सहाय के कहानी-संग्रह पल दो पल का लोकार्पण किया। अपने उद्गार में न्यायमूर्ति ने कहा कि समाज में जो घटित होता है वह साहित्य में आता है। एक साहित्यकार समाज में जो कुछ होता देखता है, उसका अपनी दृष्टि से आकलन और निरीक्षण कर अपने साहित्य में स्थान देता है और समाज की समस्याओं का निराकरण भी बताता है। इसीलिए एक कवि-लेकक का स्थान श्रेष्ठ माना जाता है।

पुस्तक की लेखिका सुधा सिन्हा ने कहा कि साहित्य में मेरा जो कुछ भी योगदान हुआ है, उसके पीछे मेरे स्वर्गीय पति अमरनाथ सहाय, जो ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश थे, की प्रेरणा है। वे हमेशा मुझे कुछ न कुछ लिखने हेतु प्रेरित करते थे। इस पुस्तक की सभी कहानियाँ गहरी संवेदनाओं से जुड़ी है, जिसका सरोकार समाज से है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष और बिहार सरकार के पूर्व गृह सचिव जियालाल आर्य, बच्चा ठाकुर, अरुण कुमार श्रीवास्तव तथा डा कैलाश कुमारी सहाय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित लघुकथा-गोष्ठी में अर्जुन प्रसाद सिंह ने आत्म-हत्या, अजीत कुमार भारती ने कल्प-वृक्ष, कमल किशोर कमल ने बहु-बेटी, अशोक कुमार ने बेचारी माँ, शीर्षक से अपनी लघु-कथा का पाठ किया। मंच का संचालन डा शालिनी पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

मशहूर शायरा तलअत परवीन, कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय, जय प्रकाश पुजारी, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, प्रवीर कुमार पंकज, प्रतिभा रानी,श्रीकांत व्यास, बाँके बिहारी साव, डा वीणा कुमारी, सदानंद प्रसाद, रामाशीष ठाकुर, दुखदमन सिंह, सच्चिदानंद शर्मा, अंकेश कुमार, शशिकान्त कुमार, अश्विनी कविराज, अनवार उल्लाह, कृष्ण कुमार झा, श्रीप्रकाश, जितेंद्र प्रसाद, आदित्य कुमार, अमन वर्मा, कामेश्वर प्रसाद, आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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