साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रह चुके थे काशी प्रसाद जायसवाल, कवियों ने दी श्रद्धांजलि

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 29 नवम्बर 2022 : पटना । मानव-जीवन, जीवन-मूल्य, प्रेम, उत्साह और दर्शन के महान गीतकार थे हरिवंश राय बच्चन। हिन्दी-काव्य में छायावाद-काल के उत्तरार्ध में एक नूतन और मृदुल-स्पर्श लेकर आए बच्चन जी ने मनुष्यता को जीवन-रस प्रदान करने वाले प्रेम को नई भाषा दी। उनकी रचनाओं में जीवन के प्रति अकुंठ श्रद्धा और उत्साह है। वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय कवि थे। गोवा की राज्यपाल रह चुकीं विदुषी साहित्यकार डा मृदुला सिन्हा का स्मरण करना, भगवती शारदा की आराधना करना है। वो सरस्वती की साक्षात विग्रह थीं। उनकी आत्मीयता, उनका प्रेम पूर्ण व्यवहार और सबके प्रति उनका विमल अनुराग उन्हें अतिविशिष्ट बनाता था। महान इतिहासकार डा काशी प्रसाद जायसवाल बिहार के गौरव थे। अध्यक्ष के रूप में उन्हें पाकर साहित्य सम्मेलन धन्य हुआ। 

यह बातें मंगलवार को तीनों महान विभूतियों की जयंती पर साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह और कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि, बच्चन जी की विश्रुत काव्य-कृति मधुशाला, मानव-सभ्यता के प्रसंग में भारत की प्राचीन-दृष्टि का संपूर्ण दर्शन है। उनकी कृति दो चट्टानें के लिए उन्हें १९६८ में, साहित्य अकादमी पुरस्कार से विभूषित किया गया। वे राज्य-सभा के भी मनोनीत सदस्य थे। 

दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, प्रो इंद्रकांत झा, आनन्द किशोर मिश्र, बच्चा ठाकुर तथा संजीव कुमार मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ गीतकार जय प्रकाश पुजारी ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र करुणेशने कहा- “कितने दिन खुद से भी बात किए हो गए/ मन जो था मस्त-मस्त, बौर-बौर बौराया/ जाने क्यों आज वही ठौर-ठौर अझुराया/तार-तार छिन्न-भिन्न छंद-छंद छलनी है/ फूट रहे गीत नहीं,भाव कहीं खो गए”। डा शंकर प्रसाद ने अपनी ग़ज़ल को स्वर देते हुए कहा कि, “मेरी आँखों में तेरी परछाई झूम जाती है/ लिखूँ जो नाम तेरा रोशनाई झूम जाती है।”

मुज़फ़्फ़रपुर से आयी ख्यातिलब्ध कवयित्री डा आरती कुमारी ने अपने अच्छे दिनों को इस तरह स्मरण किया कि “तेरी याद में जो गुज़ारा गया है/ वही वक्त अच्छा हमारा गया है”। गीत के चर्चित कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने अपनी भावना निवेदित करते हुए कहा कि “निशा बीत जाए ना यों ही और ना आ जाए प्रभात/ प्रिय करो मिलन की बात”। मशहूर शायरा तलत परवीन का कहना था – “ उस ने हर दम दिए थे अश्क़ हमें/ हम तबस्सुम मगर सजाके मिले।”

वरिष्ठ कवि कमल किशोर कमल, डा सुषमा कुमारी, मोईन गिरिडीहवी, श्रीकांत व्यास, अर्जुन प्रसाद सिंह, अंकेश कुमार, अमित कुमार भारती,अश्विनी कविराज, मोहम्मद शादाब आदि कवियों ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया। मंच का संचालन कुमार अनुपम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन डा अर्चना त्रिपाठी ने किया।

इस अवसर पर रामाशीष ठाकुर, विपिन भारती, अमन वर्मा, पावन सिंह, डा चंद्र शेखर आज़ाद, दिगम्बर जायसवाल, राहूल कुमार, डौली कुमारी, अमित कुमार सिंह, संजय चौबे आदि प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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