मानव कहलाने के अधिकारी नहीं सदाचार एवं नैतिकता विहीन भगवान एवं शास्त्र के वचनों पर संतो का मौलिक अधिकार मर्यादाविहीन जीवन से पीढ़िया भी होती कुप्रभावित

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 29 नवम्बर 2022 : सदाचार एवं नैतिकता विहीन मनुष्य मानव कहलाने का अधिकारी नहीं है। व्यक्ति को जीवन में अनैतिकता एवं दुराचार से बचना चाहिए । अनैतिकता से जीवन और मरण दोनों अमंगलमय हो जाते हैं। भावी पीढ़ी भी कलंक ग्रसित हो जाती है। अनैतिकता से जीवन यापन करने वाले को कभी यश प्राप्त नहीं होता। इसलिए स्वयं तथा अपनी पीढ़ियों के निमित्त मानव को मर्यादानुकूल जीवनयापन करना चाहिए।

श्री जीयर स्वामी ने कहा कि भगवान ने मनुष्य के अलावे दैत्य पुत्र प्रह्लाद एवं पशु गजेन्द्र पर भी कृपा की हैं, जो शास्त्र में उल्लेखित है। भगवान कभी पक्षपात

नहीं करते। भगवान का शब्दिक अर्थ भा से प्रकाश, ग-ज्ञान, वा से वैभव और न से नेक है। भगवान से ही ये गुण पैदा होते है। भगवान सब को प्रकाशित करते हैं, जिससे वे अपना प्रकाश हटा लेते हैं, उस जीव का तेज समाप्त हो जाता है। तेजोहीन जीव-अजीव का अस्मिता समाप्त हो जाती है।

स्वामी जी ने कहा कि जिस परिवार में धर्म के प्रति श्रद्धा होती है। वह परिवार पवित्र और धन्य हो जाता है। जिस कुल में वैष्णव उत्पन्न होते हैं वह कुल पवित्र हो जाता है। माता कृतार्थ हो जाती हैं। देश लोक पृथ्वी और पिता धन्य हो जाता है। अर्थात् वह कुल पवित्र हो जाता है। पृथ्वी पवित्र एवं धन्य हो जाती है। वह देश धन्य हो जाता है तथा उसके पितर लोग धन्य हो जाते हैं। भगवान का भक्त होना कल्याण कारक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network