आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 30 जून 2023 : पटना : राजभवन में बिहार के सीएम नीतीश कुमार का राज्यपाल से सौम्यतामूलक मुलाकात के लिए अचानक पहुंचना और पीछे से बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी का आना महज संयोग था या कुछ और ? यह सवाल शिद्दत से बिहार की सियासत में गूंज रहा है। लोगों को 2017 की याद आ रही है, जब महागठबंधन से रिश्ता तोड़ कर नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे थे। तब भी सुशील कुमार मोदी उनके साथ गए थे। यह सवाल इसलिए भी गंभीर हो गया है कि तेजस्वी यादव अभी विदेश भ्रमण पर हैं। नीतीश कुमार को जबरन राष्ट्रीय राजनीति में धकेलने के लिए आरजेडी बेताब है। हालांकि राजभवन ने नीतीश कुमार के राज्यपाल से मिलने को महज शिष्टाचार भेंट बताया है।

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नीतीश के राजभवन पहुंचते ही बुधवार को दिन भर बिहार के सियासी हल्के में भूचाल आ गया था। तरह-तरह की अटकलें लगने लगीं। पीछे से सुशील कुमार मोदी के पहुंचने से अफवाहों को और बल मिला। ऐसा इसलिए हुआ कि पहली बार नीतीश कुमार ने जब महागठबंधन का साथ छोड़ा था तो उसके सूत्रधार सुशील कुमार मोदी ही थे। सत्ता परिवर्तन का केंद्र भी राजभवन ही बना था। आरजेडी के लोग जब तक हकीकत समझ पाते, तब तक काम तमाम हो चुका था। बीजेपी के सहयोग से नीतीश एनडीए के सीएम बन गए थे।

क्या बिहार में फिर होगा सत्ता परिवर्तन ?

सीएम नीतीश कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की संयोगवश राजभवन में हुई मुलाकात के बाद बुधवार से ही बिहार में सियासी अटकलों का बाजार गर्म है। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलने अचानक बुधवार को सीएम नीतीश कुमार पहुंच गए। उनके ठीक बाद भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी भी राजभवन पहुंचे। कहने को तो यह मुलाकात संयोगवश थी, लेकिन बिहार की राजनीति में अचानक गर्माहट आ गई। कयास लगने लगे कि नीतीश कुमार फिर कोई खेल करने वाले हैं। हालांकि अटकलों पर विराम तब लगा, जब सुशील मोदी ने सफाई दी कि यह महज संयोग था कि एक ही वक्त दोनों राजभवन पहुंच गए। यह उन्होंने जरूर स्वीकार किया कि लंबे समय बाद नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई थी। राज्यपाल आर्लेकर से उनकी पुरानी पहचान है। विद्यार्थी परिषद में दोनों ने साथ काम किया है। इसीलिए मिलने गए थे। हालांकि सीएम नीतीश कुमार की ओर से आधिकारिक बयान नहीं आया कि वे क्यों गए थे। इसकी भरपाई राजभवन ने कर दी। राजभवन ने कहा कि यह शिष्टाचार भेंट थी। फिर भी अटकलों पर अभी तक विराम नहीं लगा है। इसकी वजह यह है कि नीतीश कुमार ने पिछले 10 साल में जिस तरह पाला बदल की राजनीति की है, उसे देखते हुए लोगों के मन में उनके प्रति हमेशा संशय ही बना रहता है।

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