आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 18 फरवरी 2022 : श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि मनुष्य के जन्म और मृत्यु का कारण उसका सिर्फ और सिर्फ कर्म है अतः मनुष्य को कर्म के प्रति सतर्क रहना चाहिए। जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलना निश्चित है। जिस प्रकार हजार गायों के बीच बछड़ा अपनी मां को पहचान लेता है उसी प्रकार कर्म भी अपने कर्ता को पहचान लेता है। कर्म का फल मिलना निश्चित ही निश्चित है। अतः मनुष्य को कर्म करने के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। बुरा कर्म का फल बुरा ही होगा तथा अच्छे कर्म का फल अच्छा ही होगा। अतः किसी भी मनुष्य को बुरा कर्म नहीं करना चाहिए किसी के प्रति बुरा विचार नहीं रखना चाहिए उन्होंने कहा कि 84 लाख योनियों को भोगने के बाद मनुष्य को मानव योनि में जन्म मिलता है और इतने दुर्लभ जन्म में अगर मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई तो यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है। श्री भागवत पुराण मोक्ष का द्वार है इससे सुनने के बाद प्राणियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है l मनुष्य को किसी दूसरे मनुष्य को अपमानित नहीं करना चाहिए इसे बहुत बड़ा दोष लगता है ।परोपकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं है कोई भी व्यक्ति कष्ट में है तो उसे मदद करनी चाहिए परोपकार करनी चाहिए।किसी भी जीव को मारकर खाने का अधिकार किसी भी जीव को नहीं है। मनुष्य को छोड़कर हर जीव अपनी मर्यादा का पालन करते हैं। क्योंकि उनको उसी काम के लिए बनाया गया है। लेकिन 84 लाख योनियों में एक मात्र मनुष्य ही है जो कि अपने स्वार्थ के लिए मर्यादा से हटकर कार्य करता है। और यही जन्म और मृत्यु के बंधन का कारण है। अतः मनुष्य को कर्म के प्रति विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। मनुष्य को अपने जीवन में सत्संग जरूर करना चाहिए। क्योंकि जो चीज सात जन्म में मिलना संभव नहीं है वह सच्चे संत के दर्शन से संभव हो जाता है।

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