31 जुलाई तक काम करेंगे,तीसरी बार कार्यक्रम बढाने का आदाशअवैध
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 11 जुलाई 2023 : नई दिल्ली। प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तगड़ा झटका देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के डायरेक्टर संजय मिश्रा के कार्यकाल को घटा दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि संजय मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई तक ही रहेगा. केंद्र सरकार ने लगातार तीसरी बार संजय मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ा दिया था. सरकार की नियुक्ति के हिसाब से मिश्रा 18 नवंबर को रिटायर होते.
कोर्ट ने कहा है कि सरकार 15 दिन में ईडी के नए डायरेक्टर की नियुक्ति कर सकती है.सरकार की ओर से ईडी डायरेक्टर के कार्यकाल को बढ़ाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून बनाने की शक्ति सरकार के पास है, लेकिन यह विस्तार अवैध और मौजूदा डायरेक्टर 31 जुलाई तक ही ईडी में सेवारत रहेंगे.
बता दें कि केंद्र सरकार ने संजय मिश्रा को पहली बार 18 नवंबर 2018 को ईडी का डायरेक्टर बनाया था.इसके बाद सरकार ने बीच में एक-एक साल के लिए उनके कार्यकाल को आगे बढ़ा दिया था. शीर्ष अदालत ने मिश्रा की लगातार तीसरी बार नियुक्ति को चैलेंज देने वाली याचिका पर पिछले साल 12 दिसंबर को सरकार से जवाब मांगा था. शीर्ष अदालत ने मिश्रा की लगातार तीसरी बार नियुक्ति को चैलेंज देने वाली याचिका पर पिछले साल 12 दिसंबर को सरकार से जवाब तलब किया था. इसके बाद कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए 8 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.ईडी निदेशक संजय मिश्रा के हुए तीसरे कार्यकाल के विस्तार को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहरा दिया। संजय मिश्रा को मिला 18 नवंबर 2022 का सेवा विस्तार गैरकानूनी मान लिया गया। इस फैसले के साथ ही संजय मिश्रा के तीसरे कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसले और कार्रवाइयों के समीक्षा की मांग उठने लगी है।
सियासी दलों की ओर से कहा यह जा रहा है कि जो फैसले संजय मिश्रा के बतौर निदेशक रहते लिए गए, उनको एक बार फिर से जांचा जाए। हालांकि कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि ईडी के निदेशक का कार्यकाल भले अवैध घोषित किया गया हो, लेकिन उस दौरान लिए गए फैसले कानूनी तौर पर अवैध नहीं माने जाएंगे। सियासी गलियारों के अलावा संजय मिश्र के कार्यकाल को अवैध ठहराए जाने से नौकरशाही के गलियारे में भी खूब चर्चाएं हो रही हैं। सेवा विस्तार अवैध लेकिन फैसले कानूनी कानून के जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के निदेशक संजय मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को भले अवैध करार दिया हो, लेकिन इस कार्यकाल के दौरान किए गए फैसलों को अवैध नहीं माना जा सकता।