एसडीएम ने भेजवाया अस्पताल
रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : बिक्रमगंज(रोहतास)। कहते है की बच्चों के लिए माता – पिता ममता की साया होती है । लेकिन जब ममता की छाया ही सर से उठ जाय तो कोई देखनिहार नही होता । ऐसे में जीने का आधार सिर्फ एक मात्र भगवान ही होते है । कुछ इसी तरह की वाक्या बिक्रमगंज शहर में देखने को मिला । जहां जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियो एवं समाजसेवियों ने कई वर्षों से मुख्य सड़क के किनारे अपना झोपड़ीनुमा आशियाना बनाकर रह रहा असहाय व लाचार बीमार गोविंद कुमार नामक युवक का किसी ने कोई सुध नही लिया ।एक पत्रकार ने केवल मानवता की मिसाल कायम किया । बल्कि शर्मसार होने से भी बचाया ।गंदगियों व कूड़े कचरो के बीच अपना जीवनयापन कर किसी तरह गुजर कर रहे असहाय व चलने फिरने में असमर्थ की बीमारियों से ग्रसित गोविंद को सोमवार के दिन पत्रकार ने एसडीएम से पहल किया ।ततपश्चात एसडीएम विजयंत कुमार ने तत्काल इस मामलें को संज्ञान में लेते हुए त्वरित गति से कार्रवाई करते हुए अनुमंडलीय रेफरल अस्पताल भेजवा दिया ।जहां इलाजरत युवक का अच्छे से देखभाल होने के साथ वह अपने को काफी सकून महसुस कर रहा है । मालूम हो कि हाड़ कपा देने वाली ठंड हो या फिर तेज धूप हर मौसम में अनुमंडल कार्यालय के समीप मुख्य सड़क एवं नाली के किनारे गंदगियों से बजबजाता झोपड़ीनुमा आसियाना बसाकर गोविंद कुमार उम्र 30 वर्ष नामक युवक रह रहा था तथा मुख्य सड़क से गुजरने वाले राहगीरो के अलावा शासन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को राह निहारता रहा कि कोई उसे खानेपीने का खाद्यान्न साम्रगी उपलब्ध कराकर बजबजाती व सड़ांध मारती गंदगियों से उठाकर अस्पताल के बेड तक पहुचवा दे । ताकि उसका फिर से जिंदगी सवर जाय। किसी ने कुछ दिया तो खाया नही तो भूखे पेट एक कम्बल के सहारे सो जाया करता था । गोविंद न केवल चलने फिरने में असमर्थ था बल्कि उसको दवा व भोजन की भी सख्त जरूरत थी। लेकिन कोई उस असहाय व लाचार युवक की ओर ध्यान नही दिया। इसी वाक्या को देख सोमवार को एक पत्रकार ने एसडीओ से पहल किया और एसडीएम विजयंत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उक्त युवक को अस्पताल भेजवा कर मानवता की मिसाल कायम की । इस सकरात्मक पहल को लेकर नगरवासियों में सराहा जा रहा है । सूत्रों की माने तो उक्त युवक पढा लिखा होने के साथ करोड़ो सम्पति का वारिश है तथा स्थानीय शहर निवासी स्व:गोपाल साह का एकलौता पुत्र बताया जा रहा है । मुख्य सड़क के किनारे ही इसका व्यवसायिक दो मंजिला मार्केट व आवास भी है । पिता के गुजरने और मां के विक्षिप्त होने तथा गलत खानपान की वजह से कई बीमारियों से ग्रसित हो चुका उक्त युवक उत्पीड़न का शिकार हो गया । तब से अपने मार्केट व आवास के बाहर सड़क किनारे ही झोपड़ी लगाकर जिंदगी व मौत से जूझते हुए दिन काट रहा था । अस्पताल पहुंचकर उक्त युवक को नई जिंदगी मिल गई है ।