— निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने हेतु देर क्यों ?
— बच्चो के भविष्य के साथ खेलवाड़ क्यों ?
— क्या शिक्षकों को रोजगार हेतु पलायन कराने का है उद्देश्य ?
— केंद्र सरकार के आदेशानुसार निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने के आदेश के उललंघन के पीछे क्या है मंशा ?

सासाराम : बिहार राज्य के सभी 38 जिला में प्रदेश व्यापी एक दिवसीय सत्याग्रह के पश्चात् प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव डॉ एस० पी० वर्मा ने बिहार राज्य सरकार के निजी विद्यालयों के तरफ उदासीन रवैय्ये पर सवालिया निशान लगते हुए कहा है की केंद्र सरकार के निजी विद्यालयों को पुनः संचालित करने आदेश के उललंघन के पीछे राज्य सरकार की आखिर मंशा क्या है ? क्यों बच्चो के भविष्य के साथ खेलवाड़ किया जा रहा है | अनलॉक गाइडलाइन्स के तहत सिनेमा हॉल , धार्मिक स्थल , यातायात , सभी दुकाने तथा सभी कार्यालयों को पुनः संचालित कर दिया गया है परन्तु विद्यालयों को पुनः संचालित करने पर सरकार के द्वारा पाबन्दी नहीं हटाई गयी है | यह बताना भी उचित है की इन्ही निजी विद्यालयों में सरकार कोरोना काल से ले कर आज तक लगातार परीक्षाओ का आयोजन करवा रही है और उन परीक्षाओ के आयोजन हेतु परीक्षार्थियों से पंजीकरण के नाम पर मोटी रकम भी वसूल रही है परन्तु किसी भी निजी विद्यालयों को एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी जा रही है और मुफ्त में सभी निजी विद्यालयों के भवनों को इन परीक्षाओ को संचालित करवाने हेतु इस्तेमाल किया जा रहा है | मैं राज्य सरकार से पूछना चाहता हूँ की क्या कोरोना महामारी सिर्फ निजी विद्यालयों के सञ्चालन के लिए ही है और आपके कार्यो के लिए क्या कोरोना नहीं है ?


राज्य सरकार के इस उदासीन रैवाईये को देखते हुए अब निजी विद्यालयों के संचालक , शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण राज्य व्यापी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो गए है | यदि 02 जनवरी 2021 के पहले विद्यालयों को संचालित करने हेतु आदेश पारित नहीं किया गया तो सभी 38 जिला के निजी विद्यालय संचालक, शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारी विशाल आंदोलन करने पटना आ जायेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार एवं शिक्षा विभाग की होगी | क्या सरकार किसान आंदोलन की तरह शिक्षा आंदोलन के लिए शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को बाध्य करना चाहती है ?

बताते चले की प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन ने आठ सूत्री मांगो पर माननीय प्रधानमंत्री को अपने सदस्यों के द्वारा दो लाख ईमेल भेजवाया था साथ ही माननीय मुख्यमंत्री बिहार को भी PSACWA के सदस्यों के द्वारा दो लाख पत्र भेजे गए थे उसके बाद महामहिम राज्यपाल महोदय से मिल कर भी ज्ञापन सौपा गया था परन्तु कही भी कोई सकारात्मक निष्कर्ष नहीं निकला | अब बिहार प्रान्त के सभी 38 जिले के निजी विद्यालय संचालक , शिक्षक , शिक्षिकाएं एवं कर्मचारीगण संघठन के बैनर तले बिहार राज्य सरकार के खिलाफ राज्य व्यापी शिक्षा आंदोलन करने के लिए विवश हो चुके है |


प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के आठ सूत्री मांगे निम्नलिखित है :

  1. केंद्र सरकार के पत्रांक के आलोक में निजी विद्यालयों को संचालित करने का आदेश अविलम्ब पारित किया जाये |
  2. राज्य सरकार निजी विद्यालयों का सभी टैक्स की राशि को माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश पारित करें। बिजली का बिल , ट्रांसपोर्ट में लगने वाले विभिन्न प्रकार के टैक्स को माफ किया जाए एवं बैंक के ईएमआई पर लगने वाले ब्याज को नहीं लिया जाए।
  3. बिहार बोर्ड एवं बिहार सरकार के दिशानिर्देश से निजी विद्यालयों के भवनों में संचालित होने वाली परीक्षाएं में भवनों का इस्तेमाल वर्षो से निःशुल्क किया जा रहा है जो न्यायसंगत नहीं है | यदि बिहार बोर्ड अपना बोर्ड परीक्षा एवं बिहार सरकार विभिन्न परीक्षाएं निजी विद्यालयों में संचालित करना चाहती है तो उन्हें भवन इस्तेमाल करने का शुल्क देना पड़ेगा जो संघठन के द्वारा तय किया जाएगा अन्यथा निजी विद्यालय संचालक अपना भवन परीक्षा सञ्चालन हेतु बिहार बोर्ड एवं बिहार सरकार को नहीं देंगे |
  4. जल्द से जल्द शिक्षा के अधिकार की राशि सभी निजी विद्यालयों को निर्गत करने हेतु उचित दिशानिर्देश बिहार राज्य के शिक्षा विभाग को देने की कृपा करें।
  5. सभी निजी विद्यालयों के भवनों का किराया माफ़ करने हेतु उचित दिशानिर्देश जारी करने की कृपा करे।
  6. निजी विद्यालयों को पुनर्स्थापना हेतु उचित पैकेज की घोषणा की जाये ताकि लाखों शिक्षक , शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में जाने से बच सके साथ ही विद्यार्थियों को भी शिक्षा का लाभ निरंतर मिल सके।
  7. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग ने वर्ष 2011 में आदेश जारी किया था कि 30 नवंबर तक हर हाल में स्कूलों को मान्यता की फाइल संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में जमा कर देनी है। साफ आदेश था कि ऐसा नहीं करने वाले विद्यालय नहीं चलेंगे, लेकिन आज भी प्रदेश में हजारों की संख्या में ऐसे ही चल रहे हैं। 2011 में आवेदन करने वाले विद्यालयों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और ना ही भौतिक सत्यापन किया गया।
  8. सरकारी स्कूलों में प्रति बच्चा प्रतिमाह खर्च के आधार पर प्रत्येक प्राइवेट स्कूलों को उसके बच्चों की संख्या अनुसार विद्यालय अकाउंट में एक वर्ष का विशेष आर्थिक सहायता राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान बनाकर अतिशीघ्र सहायता राशि सभी निजी विद्यालयों को उपलब्ध कराने का कष्ट करें |

इस निर्णय का स्वागत रोहतास जिला अध्यक्ष रोहित वर्मा, जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, ज़िला सचिव समरेंद्र कुमार (समीर जी), जिला सह सचिव संग्राम कांत, जिला महामंत्री अनिल कुमार शर्मा , सुनील कुमार, संजय त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, जिला संयोजक धनेन्द्र कुमार, ज़िला जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल , डिहरी प्रखंड अध्यक्ष अरविंद भारती, सचिव प्रशांत सिंह, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद , चेनारी प्रखंड अध्यक्ष दिनेश्वर तिवारी, नासरीगंज प्रखंड अध्यक्ष अजय सिंह, सचिव सत्यनारायण सिंह, सोनू आनंद, काराकाट प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार, सचिव आदित्य राज , विक्रमगंज प्रखंड अध्यक्ष अनिता देवी, संरक्षक भारती जी , उपाध्यक्ष कमलेश कुमार , राजपुर प्रखंड अध्यक्ष यमुना चौधरी, दिनारा प्रखंड अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार , सासाराम प्रखंड अध्यक्ष तेजनारायण पटेल , उपाध्यक्ष धनंजय सिंह, कोषाध्यक्ष तौकीर आलम, कोचस सचिव धनंजय कुमार, कोषाध्यक्ष रविन्द्र कुमार, करगहर प्रखंड अध्यक्ष अजित कुमार पटेल, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार , सचिव ब्रजेश पांडेय , कोषाध्यक्ष अरविंद कुमार , संझौली प्रखंड अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह , उपाध्यक्ष सोनू कुमार पांडेय, सूर्यपुरा प्रखंड अध्यक्ष शिव यश पाल, दावथ प्रखंड अध्यक्ष विश्वजीत कुमार, शिवसागर प्रखंड अध्यक्ष चंदन कुमार राय ,तिलौथु प्रखंड अध्यक्ष मनोज सिंह , अकोढ़िगोला प्रखंड अध्यक्ष अशोक पाल, उपाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार , सचिव बिनायक सिंह, डॉ आशुतोष पांडेय ने किया।

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