आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 05 अप्रैल 2022 : नगरा (सारण)। नगरा ओपी थाना क्षेत्र के अफौर पोखड़ा स्थित रामजानकी ठाकुरबारी मंदिर से बीती रात्री अग्यात चोरों ने मंदिर के महंथ की गला दबा हत्या कर मंदिर में विरजमान दो नये मूर्ति के साथ 11 अष्टधातु की मुर्ति की चोरी कर आसानी से फरार हो गये। सुबह जब आस-पास के गांव वाले मंदिर के पास पहुचे तो मंदिर का मुख्य द्वार खुला देख और मंदिर के अंदर रखें बक्से का ताला टूटा के साथ ही बक्से में रखे समान बिखरा देख और मंदिर के महंथ गोरख दास की सोये अवस्था में पाया देख लोग संदेह कर मंदिर में प्रवेश किया तो सारा मजरा लागों को समझ में आ गया। जिसके बाद यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। ग्रामिणों के सहयोग से स्थानीय नगरा ओपी थाने को इसकी सूचना दी गई। सूचना मिलते ही नगरा ओपी थाने की पुलिस हरकत में आई और इसके छान बीन में जुट गई।
घटना की सूचना पर डीएसपी के साथ खैरा व नगरा ओपी की पुलिस मौके पर पहुंची
अफौर पोखरा रामजानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर की पुजारी की गला दबा हत्या कर मंदिर में स्थापित मूर्तियों के चोरी हो जाने की खबर पा कर प्रशासन की निंद टुटी और मौके पर नगरा ओपी थाना के साथ खैरा थाने की पुलिस के साथ सदर डीएसपी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मुनेश्वर प्रसाद अपने दल बल के साथ मौके बरदात के पास पहुंच छान बीन में जुट गई। लोगों की माने तो खैरा सत्तरघाट मार्ग के इतने ब्यस्त मार्ग पर भी इस प्रकार की घटना हो जाने से ग्रामीण सकते में है। आपको बताते चले तो नगरा ओपी थाने की पुलिस उक्त स्थल के आस पास ही अपनी वाहनों की जांच की गतिविधिया चलती रहती है। घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश ब्याप है और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न भी खड़ा कर रहे है। इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी मुनेश्वर प्रसाद ने कहा कि मामले की अभी जांच की जा रही है। जांच करने के बाद ही इस घटना के असली गुनाहगरों को पकड़ा जा सकता है। सारण पुलिस प्रशासन इस घटना को चुनौती के तौर पर ले रही है। इस घटना में संलिप्त अपराधियों को जल्द सिनाख्त कर उन्हें सजा दिलाया जाएगा।
डॉग स्क्वायड की टीम ने मंदिर के आस पास की गहन छानबीन, कुछ भी हाथ नहीं लगा
रामजानकी ठाकुरबाड़ी मंदिर की महंथ की गला दबा हत्या कर मूर्ति चोरी मामले में पहुंची पुलिस प्रशासन ने जब शव को कब्जे में लेना चाहा तो पहले ग्रामिणों ने इस गंभीर वारदात के खुलासे के लिए डॉग स्क्वायड की टिम बुलाने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाया ताकि वरदात की गहन छान बीन हो सके और हत्यारे तक पुलिस पहुंच सके। जिसके बाद प्रशासन ने छपरा से डॉग स्क्वायड के तहत एक श्वान (कुत्ता) को मौके वरदात के पास लाया गया तथा महंथ के हत्या के आस- पास की वस्तुओं को श्वान से अवगत करने के बाद कुते ने सबसे पहले रामजानकी मंदिर के अंदर चारों तरफ चक्कर लगाने के बाद महंथ के शव के पास पहुंचा जिसके बाद मंदिर के अंदर प्रवेश कर इधर उधर सुघंने का प्रयास करने के बाद मंदिर के बाहर लगभग 100 मीटर के दायरे में जाने के बाद पुन्: मंदिर में प्रवेश किया फिर भी डॉग स्क्वायड की टिम के हाथ कुछ भी खास नहीं लगा। मौके वारदात के पास पहली बार खोजी कुत्ते को देख लोग भी हैरान थें। वहीं कुत्ते के पीछे पीछे लोग भी घुमते देखे गये।
एक माह पहले ही पुजारी को सिसवा मठ से इस मंदिर की देखभाल करने के लिए लाया गया था
अफौर पोखड़ा स्थित रामजानकी ठाकुरबारी मंदिर से चोरों द्वारा मंदिर के महंथ की गला दबा हत्या कर 13 मूर्ति चोरी मामले में स्थानीय लोगों ने बताया की एक माह पूर्व ही इस मंदिर के महंथ रामसरण दास के देहांत के बाद स्थानीय लोगों तथा मंदिर में पूजा अर्चना करने वाले लोगों की सलाह पर ही इस मंदिर के महंथ गोरख दास को सिसवा मंठिया के मठ से इनको बुला कर रामसरण दास के बाद गोरख दास को रामजनकी मंदिर का महंथ बनाया गया था। स्थानीय लोगों द्वारा मालूम चला की इस मंदिर के सबसे पुराने महंथ रामलखन दास के ही दोनो गोरख दास व रामसरण दास महंथ चेला थें। जिसमें गोरख दास की अपराधियों ने मध्य रात्री गला दबा कर हत्या कर मूर्ति चोरी को अंजाम दिया। आपको बताते चले की मृत गोरख दास का कोई भी संतान नहीं है।
मंदिर से 13 अष्ठ धातु की करोड़ों की मूर्ति के साथ बैंक व पोस्ट आफिस की पास चोरों ने किया बुक गायब, मंदिर के जमीन का कागजात सुरक्षित
स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर में कुल 14 मूर्तियां विरजमान थी। जिसमें 2 मूर्ति को लगभग 6 से 7 वर्ष पहले ही दुसरी दिल्ली से खरीद कर मूर्ति की स्थापना की गई थी। जिनमें एक लगभग 9 इंच की कृष्ण भगवान की मूर्ति के साथ लगभग एक किलो की लड्डु गोपाल की मूर्ति थी। वहीं 11 मूर्ति को गांव वाले बहुत ही प्राचीन मान रहे है जिसकी बाजार में किमत नहीं लगाया जा सकती। लेकिन कुछ का मानना है कि उक्त मूर्ति की कीमत करोड़ों में आकी जा रही है। वहीं रामजानकी मंदिर के नाम से बैंक खाता तथा पोस्ट ऑफिस में खाता था जिसको चोरों ने भी नहीं छोड़ा।