आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 20 अप्रैल 2022 : सासाराम : बिहार के सासाराम में POCSO की विशेष अदालत ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी को पीड़िता से शादी करने के बाद बुधवार को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने शादी के लिए पहले ही आरोपी को आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को लड़की को मुआवजे के रूप में 1.25 लाख रुपये देने का भी निर्देश दिया था। बिहार के सासाराम में POCSO की विशेष अदालत ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी को पीड़िता से शादी करने के बाद बुधवार को बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने शादी के लिए पहले ही आरोपी को आदेश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को लड़की को मुआवजे के रूप में 1.25 लाख रुपये देने का भी निर्देश दिया था।
खान और लड़की को पुलिस पिछले साल 24 सितंबर को सासाराम लेकर आई थी। तब तक लड़की गर्भवती हो चुकी थी। लड़की ने पुलिस को बताया कि वह आजाद खान से प्यार करती है और उसके साथ खुशहाल जिंदगी बिता रही है। उसने अपने ससुराल जाने की इच्छा भी व्यक्त की लेकिन पुलिस ने आजाद को जेल भेज दिया और लड़की को उसके माता-पिता को सौंप दिया था।
इस बीच, लड़की के माता-पिता ने कुछ महीनों के बाद लड़की को घर से निकाल दिया। उसने जेल में आज़ाद से संपर्क किया और उसके घर पर रहने चली गई। वहां लड़की ने बेटी को जन्म दिया। अदालत को पूरे ब्योरे से अवगत कराया गया। बालिग हो चुकी लड़की और आरोपी आजाद को अदालत ने बुलाया। विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए सलाह दी। इस पर वे सहमत हो गए। इसके बाद आजाद को जमानत दे दी गई।
विशेष लोक अभियोजक शाहिना कुमर ने बताया कि आजाद को 16 मार्च को जमानत दी गई थी और उसने 4 अप्रैल को लड़की से शादी कर ली। इसके बाद बुधवार को कोर्ट ने आजाद को बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि पॉक्सो अधिनियम का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 15 बी के तहत बच्चे के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करना और उसके निजता और गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करना भी है।
ऐसे में जब तक आरोपी की आपराधिक मानसिकता नहीं है और दो किशोर वर्तमान परिवेश में बातचीत करते हैं और रिश्ते को सामाजिक रूप से मान्यता देते हैं तो केवल अधिनियम के आधार पर सजा देना कानून को हतोत्साहित करेगा। शाहिना कुमार ने कहा कि हालांकि POCSO अदालत के न्यायाधीश का फैसला कानून में उचित नहीं था, लेकिन न्याय और मानवता के हित में इसका स्वागत किया जा सकता है। कोर्ट ने जिला बाल संरक्षण इकाई को दो साल के लिए बच्ची की अर्धवार्षिक स्थिति रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी आदेश दिया है।