आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 16 फरवरी 2022 : डेहरी ऑन सोन । रविदास भारत में 15वीं शताब्दी के एक महान संत, दर्शनशास्त्री, कवि, समाज-सुधारक और ईश्वर के अनुयायी थे। वो निर्गुण संप्रदाय अर्थात् संत परंपरा में एक चमकते नेतृत्वकर्ता और प्रसिद्ध व्यक्ति थे तथा उत्तर भारतीय भक्ति आंदोलन को नेतृत्व देते थे। उक्त बातें डेहरी विधानसभा बसपा के पूर्व प्रत्याशी सोनी केसरी ने एनीकट स्थित महान संत रविदास पूजन के उपरांत कहीं । उन्होंने कहीं की

 वैसे तो हमारे देश भारत में सदियों से अनेक महान संतो ने जन्म लेकर इस भारतभूमि को धन्य किया है जिसके कारण भारत को विश्वगुरु कहा जाता है और जब जब हमारे देश में ऊचनीच भेदभाव, जातीपाती, धर्मभेदभाव अपने चरम अवस्था पर हुआ है तब तब हमारे देश भारत में अनेक महापुरुषों ने इस धरती पर जन्म लेकर समाज में फैली बुराईयों, कुरूतियो को दूर करते हुए अपने बताये हुए सच्चे मार्ग पर चलते हुए भक्ति भावना से पूरे समाज को एकता के सूत्र में बाधने का काम किया है।

महान संतो में संत गुरु रविदास  जो की एक 15वी सदी के एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक कवि और धर्म की भेदभावना से ऊपर उठकर भक्ति भावना दिखाते है । कार्यक्रम का संचालन करते हुए अरविंद चक्रवर्ती ने कहा कि संत रविदास जी के जीवन से हमे धर्म और जाती से उठकर समाज कल्याण की भावना की सीख मिलती है।

पूर्व विधायक सतनारायण यादव ने कहा कि

 हिन्दू धर्म महीने के अनुसार महान संत गुरु रविदास का जन्म माघ महीने के पूर्णिमा के दिन माना जाता है और इसी दिन हमारे देश में महान संत गुरु रविदास की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने रविदास जी की वाणी के बारे में बताया कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। रविदास जी संत परंपरा में सबसे ऊंचे धर्म जाति ऊंच-नीच अमीरी गरीबी की खाई को खत्म करना चाहते थे।  कहा कि इनकी प्रतिमा निर्माण में मेरा बराबर सहयोग रहा है। विधायक श्याम बिहारी राम ने कहा किसंत रविदास का जन्म सन् 1388 (इनका जन्म कुछ विद्वान 1398 में   बनारस में हुआ था। रैदास कबीर के समकालीन हैं। रैदास की ख्याति से प्रभावित होकर सिकंदर लोदी ने इन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था।मध्ययुगीन साधकों में रैदास का विशिष्ट स्थान है। कबीर की तरह रैदास भी संत कोटि के प्रमुख कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं। कबीर ने ‘संतन में रविदास’ कहकर इन्हें मान्यता दी है।

        मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा जैसे दिखावों में रैदास का बिल्कुल भी विश्वास न था। वह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे। रैदास आश्रम धन कल्याण मंच के तत्वाधान में संत शिरोमणि रविदास जयंती धूमधाम से मनाई गई जहां हवन पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अशोक राम ने किया। इस मौके पर सुनील राम संतोष कुमार विजय कुमार धरमू चौधरी अरुण शर्मा शशांक शिव शेखर बृजलाल प्रसाद संजय राम जयप्रकाश भारती अवधेश कुमार ओम साईं राम जयप्रकाश सावन कुमार सुजीत कुमार लालजी राम वरिष्ठ अधिवक्ता उमा शंकर पांडे प्रमोद कुमार चंद्रवंशी अरुण राम पिंटू राम काफी संख्या में संत शिरोमणि के भक्त गण महिला पुरुषउपस्थित थे।

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