• धान का कटोरा कहे जाने वाले जिले में एक-एक कर बंद हो गई राइस मिलें |
  • जिले के किसानों को भी नहीं मिल रहा उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य |

नोखा। बिहार में अधिकांश मजदूरों को रोजगार देने वाला उद्योग राइस मिल बंद होने के कारण बेरोजगारी बढ़ी व लोग पलायन करने को मजबूर हुए। ऐसे में यहां के मजदूर तेलंगाना,पंजाब व अन्य राज्यों में राइस मिलों में काम करने को विवश हैं। राज्य में बंद हो रही राइस मिलों को सरकार सहायता प्रदान करे इसे चालू कराया जा सकता है। इससे बड़ी संख्या में मजदूरों को रोजगार मिल सकता है। बिहार में धान का कटोरा कहे जाने वाले इस जिले में राइस मिल एक-एक कर बंद हो गई व मजदूर बेरोजगार होते गए। बेरोजगारी इस कदर बढ़ी कि लोग पलायन करने के लिए मजबूर हो गए। राइस मिल चलने से किसानों को भी उनकी उपज का मूल्य मिल जाएगा। मिल मालिकों का कहना है कि सरकार की गलत नीति के कारण राइस मिलें बंद हो रही है। जिससे किसानों को भी उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है और न ही ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार। जिस कारण वे दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। बताया जाता है कि बिहार व झारखंड का बंटवारा होने के बाद बिहार में पत्थर, बालू, ईंट भट्ठा व राइस मिल ही मजदूरों को काम के लिए बचा था। लेकिन यहां पर बालू को छोड़कर सारे उद्योग दम तोड़ रहे हैं। इस कारण बेरोगारी बढ़ गई व लोग पलायन के लिए मजबूर हो गए। कोरोना महामारी में लॉकडाउन लगा तो बाहर से मजदूर वापस आ गए। अब ये रोजगार की तलाश में मारे फिर रहे हैं। नोखा के वयोवृद्ध चावल व्यवसाई रामाश्रय चौधरी कहते हैं कि 80 के दशक तक चावल व्यवसाय काफी फल फूल रहा था। इसमें एक मिल में 50-100 लोग काम करते थे। मिल के अलावा ब्रोकर, गोला आदि में लोगों को रोजगार मिलता था। जिले की चावल दिल्ली, बंग्लादेश, मध्यप्रदेश आदि जगहों पर जाते थे। वर्ष 2010 के बाद राज्य सरकार की नीति बदली तो मिल घाटे में चलने लगा।बताते चलें कि वर्तमान में जिले में 110 राइस मिलें हैं। पहले 650 निबंधित राइस मिल होती थी। इसके अलावे नटवार, नोखा, बिक्रमगंज, काराकाट में बिना निबंधन के छोटी मिल भी चलती थी। बिहार राज्य राइस मिल संघ सचिव शशि झा ने बताया कि राइस मिल को नोडल बनाकर खरीदारी की जाती तो किसानों को उनकी कीमत मिलती व मजदूरों को रोजगार। जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक अखिलेश कुमार ने बताया कि सरकार ने मजदूरों के लिए स्कीम चलाई है। राइस मिल का सीजन है। हो सकता है कि मजदूरों को काम दिलाने के लिए सरकार कुछ उपाय करे।

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