बिक्रमगंज । कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा 22 अक्टूबर 2020 को तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन पर प्रशिक्षण कार्य का समापन किया गया। प्रशिक्षण उपरांत निदेशक अनुसंधान बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर सबौर भागलपुर ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया । उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं एवं बच्चों हेतु मशरूम बेहद सस्ता और उचित गुणवत्ता वाला भोज्य पदार्थ है। इन्हें प्रतिदिन आहार में शामिल करना चाहिए।
प्रशिक्षण में मौजूद वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान प्रभारी आर के जलज ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र में मशरूम के स्पाॅन तैयार किए जा रहे हैं एवं मशरूम प्रत्यक्षण इकाई की स्थापना की गई है। जहां प्रतिदिन लगभग 5 से 6 किलो ग्राम मशरूम का उत्पादन हो रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 35 महिला कृषकों ने भाग लिया। सभी महिला कृषक जीविका के सदस्य थे। इनमें से पांच रोहतास प्रखंड के तीन बिक्रमगंज प्रखंड के पांच सासाराम प्रखंड के 6 सूर्यपुरा प्रखंड के एवं 7 दावथ प्रखंड की महिलाएं शामिल थी। महिलाओं में रंगीला देवी , शारदा देवी , सुप्रिया कुमारी, जयमाला देवी विमला देवी सहित सभी महिलाओं को ओयस्टर मशरूम उत्पादन की संपूर्ण जानकारी दी गई।
उन्हें गेहूं व भूसा से मशरूम उत्पादन हेतु बैग बनाने, बैग को सुरक्षित स्थान पर रखने एवं उसके बढवार हेतु उचित प्रबंधन की पूरी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के दौरान महिला वैज्ञानिक सुनीता पासवान, कृषि विज्ञान केंद्र सहरसा द्वारा ऑनलाइन माध्यम से मशरूम से होने वाले फायदों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तम गुणवत्ता के प्रोटीन मशरूम में पाए जाते हैं। कोई भी ग्रामीण महिला इसे झोपड़ी में उगा सकती है। जितने भी प्रोटीन के स्रोत उपलब्ध हैं उनमें सबसे सस्ता प्रोटीन सोर्स मशरूम ही है। कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ रतन कुमार ने महिलाओं को मशरूम के बीज उत्पादन एवं भूसा के इस्तेमाल के द्वारा पैकट बनाकर ओयस्टर मशरूम का उत्पादन करने की विधि की जानकारी दी। डॉ रतन कुमार के अनुसार एक बैग बनाने में 25 से ₹30 का खर्च आता है जिसमें करीब 25 दिनों बाद मशरूम उग आते हैं। एक बैग से लगभग 3 से 4 किलोग्राम के मशरूम प्राप्त किए जा सकते हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवीण कुमार, हरेंद्र प्रसाद शर्मा, अभिषेक कौशल एवं सुबेश कुमार उपस्थित थे।