रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : कोचस : कोचस प्रखंड के सत्तसा गांव में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि माया दो प्रकार की होती है एक जड़ माया एक चेतन माया। सोना, चांदी, रूपया पैसा, पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, आकाश यह जड़ माया है। संसार की माताएं चेतन माया है। यही दोनो माया के कारण पुरे दुनिया में उपद्रव है। किसी का खेत दखल कर ले किसी का खलिहान दखल कर ले, कहीं राष्ट्र सीमा में  दखल हो रहा है, कहीं समुद्री सीमा में, किसी का पठारी क्षेत्र दखल कर ले, किसी का पर्वतीय क्षेत्र यही जड़ माया है। एक माया जड़ होता है। दुसरा माया चेतन होती है। जिसके कारण माताओ के आबरू से खिलवाड़ होता है। इन दोनो के द्वारा दुनिया में उपद्रव है। इन दोनो के द्वारा काम भी नही चलेगा। पुरे संसार में इन दोनो के द्वारा ही उपद्रव है।

भोगवाद द्वारा जीवन जीने के कारण होता है महाप्रलय।

महाप्रलय कब होता है जब दुनिया में मर्यादा की कोई अस्तित्व नही रह जाती है, संस्कृति की कोई अस्तित्व नहीं रह जाती है। केवल भोगवाद द्वारा जीवन जीने लगते हैं उस समय महाप्रलय होता है। भोगवाद का मतलब है जैसे पशु, जैसे कुता, सियार, अनेको प्रकार के पशु ये अपने को यही मानते हैं कि मेरी दिनचर्या है कि कही अपने आप में भोजन कर लें। सो जाएं, संतानोत्पत्ति करें यही भोगवाद है। केवल शरीर की प्रसन्नता, शरीर की संतुष्टि में अपने द्वारा किसी भी प्रकार का व्यवहार और वर्ताव करना  मेरे शरीर और इसके आलावा दुनिया में कुछ नही होता है। इस प्रकार से जीने वाला है जीने की शैली है, प्रणाली है उसका नाम है भोगवाद।

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