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गृहस्थ जीवन में रहकर परमात्मा से जीवन जोड़ने पर भटकाव नही रहता।

ByRohtas Darshan

Dec 24, 2020

गच्छहीं यज्ञ स्थल पर श्री जीयर स्वामी जी से मिलने हेतु काफी दूर-दूर से लोग आ रहे हैं जग समिति की तरफ से अतिथियों के स्वागत के लिए अच्छी खासी व्यवस्था की गई है। मीडिया प्रभारी अखिलेश बाबा ने बताया कि यज्ञ समिति की तरफ से काफी संख्या में लोग इसे सफल बनाने में लगे हुए हैं जिसमें देव मुनि सिंह दशरथ सिंह कृष्णा सिंह संतोष सिंह सत्येंद्र नारायण सिंह के अलावा काफी संख्या में समिति के सदस्य लगे हुए हैं । श्री जियर स्वामी जी महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति वह है जो दुनिया की हर सत्ता को मानता है लेकिन परमात्मा के सत्ता को चुनौती देता है। सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति है। वह सब कुछ मानता है। भोजन मानता है, धन, संपत्ति, पद, प्रतिष्ठा सब कुछ मानेंगा। परंतु चुनौती देता है तो भगवान की सत्ता को चुनौती देता है वह दुनिया का सबसे बड़ा दुर्भागी व्यक्ति है। हमारे किए हुए कर्मों का फल है सुख तथा दुःख। ऐसा जानकर अपने आप में उस ईश्वर की स्थिति को स्थापित करें। मोक्ष की कामना करें।

जो जिस दिन से बना उसी दिन से बिगडना शुरू।

नियमाण मनुष्य का धर्म क्या है? संसार मरणशील है, नश्वर है, सबका एक न एक दिन क्षय विनाश मरना एक न एक दिन लगा ही हुआ है। जो जिस दिन से बना उसी दिन से उसका बिगडना शुरू हो गया। मान लीजिए कि आप मकान बना लिए, मकान में ईंट, सिमेन्ट, बालु लग गया,  सिमेन्ट की आयु सौ वर्ष है परंतु जिस दिन से लग गया उसकी आयु कम होने लगती है। कोई भी चीज हो।

प्रलय पांच प्रकार का होता है।

पहला नित प्रलय है इसका मतलब रोज दुनिया में जो परिवर्तन जो होता है। यह नित प्रलय है। अभी जो है एक बाद नही रहेगा। एक घंटा पहले जो था अभी नही है। एक नैमित्तिक प्रलय होता है इसका मतलब किसी के निमित्त जो प्रलय होता है। मतलब कहते हैं कि आपके चलते मेरा खेत बर्बाद हो गया। भैंसा ने खेत बर्बाद कर दिया। खेत की बर्बादी में भैंसा का हाथ है। यह है नैमित्तिक प्रलय होता है। जब ब्रम्हा जी शयन करते हैं तो नैमित्तिक प्रलय होता है। तीसरा आत्यांतिक प्रलय होता है। इसमें प्रकृति हर क्षण, हर स्थिति को अपने अनुसार नियंत्रित करती है। जैसे भूकंप, सुनामी इत्यादि। चौथा है प्रलय होता है। इसमें प्रकृति की स्थितियां अस्त व्यस्त हो जाती है। पेड़ों की सत्ता नही रह पाती है। वृक्षों की सत्ता नही रह पाती है। पहाड़ों की सत्ता नही रह पाती है। जल की सत्ता नही रह पाती है। पांचवा होता है महाप्रलय। इस महाप्रलय में कोई बचता नही है। भगवान नारायण को छोड़कर कोई भी बचता नही है।

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