श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ की प्रथम दिन स्वामी जी ने दिया उपदेश

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 26 मार्च 2022 : करगहर (रोहतास)। कर्मठ सील व्यक्ति को ही भाग्य साथ देता है। जो व्यक्ति केवल भाग्य भरोसे जीता है उसके जीवन में कभी सुख प्राप्त नहीं होता है। आलसी व्यक्ति को देखकर भाग्य भी भाग जाता है। प्रखंड क्षेत्र के नादो गांव में शनिवार को श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के प्रथम दिन लक्ष्मी प्रपन्ना जियर स्वामी जी ने अपने उपदेश में कहीं। उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने कर्मों की बदौलत दुख और सुख होता है। मर्यादा और संस्कार राष्ट्र की धरोहर और पहचान है। परिवार, समाज और राष्ट्र का उत्थान बिना मर्यादा और संस्कार के नहीं हो सकता। वर्तमान समय में मर्यादा और संस्कार में कमी को देखते हुए उन्होंने कहा कि इसके कारण समाज और में कटुता पैदा होता जा रहा है। छोटे-छोटे बच्चों को शुरू से ही संस्कार और मर्यादा सिखाया जाना चाहिए तभी राष्ट्र का कल्याण हो सकता है। शुरू से ही बच्चों को पांव छू कर बड़े बुजुर्गों का प्रणाम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। वही लड़का आगे चलकर विनम्र और आज्ञाकारी होता है। एक नारा में कहा जाता है कि अधर्म का नाश हो। इस पर उन्होंने कहा कि अधर्म का कभी नाश हो ही नहीं सकता। क्योंकि ब्रह्मा के छाती से धर्म एवं पीठ से अधर्म का जन्म हुआ है। धर्म से अधर्म को कभी अलग नहीं किया जा सकता। विद्वान की महत्ता तभी पड़ती है जब वहां अशिक्षित लोग हो। प्रकृति की पूजा अनादिकाल से चलते आ रहा है। प्रकृति प्रदत जिस वस्तुओं से जीव का कल्याण होता है वही देवता कहलाए जाते हैं। ऐसा वेद, पुराण, उपनिषद में बताया गया है। उन्होंने कहा कि पहाड़, वृक्ष, नदी, हवा, सूर्य, चंद्रमा आदि देवताओं की पूजा करते हैं जो हमारे जीवन के लिए लाभदायक सावित होता है। सभी व्यक्ति को सेवा की भावना रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सही आहार विचार से पत्नी के साथ सहवास करने के उपरांत जन्मा पुत्र सुशील और सदाचारी होगा। मासिक धर्म के सम दिन में पुत्र और विषम दिन में पुत्री होने का दावा किया। इसके गणितीय सूत्र भी बताएं। महिलाओं के गर्भाधान के समय देवी देवताओं की आराधना करनी चाहिए निश्चित रूप से वह पुत्र और पुत्री शीलवान और चरित्रवान होंगे।

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