नवधा भक्ति से माता सवरी का हुआ कल्याण, मूर्ति के सिर और मुँह में नहीं चढ़ाएं भोग

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 15 अप्रैल 2022 : सासाराम : आत्म-कल्याण का सबसे सरल, सहज और श्रेष्ठ साधन भक्ति मार्ग है। यह धैर्य, श्रद्धा और विश्वास से प्राप्त होती है। इसे अपनाने वालों का पतन नहीं होता। भक्ति मार्ग पर भटकने वाले भक्तों की भी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं। श्री जीयर स्वामी ने कहा कि आत्म-कल्याण के लिये ज्ञान और कर्मयोग आदि मार्ग भी हैं, लेकिन उनमें भटकाव का भय रहता है। धैर्य, श्रद्धा और विश्वास के साथ अपनाये गये भक्ति मार्ग में विचलन की संभावनायें नहीं होती, बल्कि भगवान सदैव रक्षा करते हैं। जैसे शिशु जब पालने में रहता है तो माँ अन्यत्र कार्य करते हुए अपना ध्यान बच्चे में ही रखती है। लेकिन युवा पुत्र के प्रति इसकी आवश्यकता नहीं समझती। गीता में भगवान कहते हैं कि वे अपने भक्तों को योग-क्षेम प्रदान करते हैं “योगक्षेमं वहामि अहम्।” अप्राप्त वस्तु की प्राति योग है और प्राप्त वस्तु का संरक्षण क्षेम है। नारद जी भक्ति मार्ग के आचार्य हैं, वे भक्ति सूत्र की रचना किए हैं। नारद जी जब मोहिनी रूप पर आसक्त हो शादी का मन बनाए तो भगवान से याचना किए। ‘जेही विधि होहिं नाथ हित मोरा। नारद जी के हित के लिए प्रभु उन्हें बंदर का रूप दे दिए। इसके लिए नारद जी द्वारा प्रभु का उपहास भी किया गया, लेकिन भगवान भक्त को बचाने के लिये यह भी स्वीकार किये। भक्ति नौ तरह की होती है, जिसे नवधा भक्ति कहते हैं :-

श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम् । अर्चनं वन्दनं दास्यं साख्यमात्मनिवेदनम्।।

श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चना, वंदना, दास भाव, सखा भाव और आत्म निवेदन-ये नवधा भक्ति हैं। इनका पालन माता सबरी, मीरा बाई, तुकाराम और रामानुजाचार्य किये और भगवान को पा लिये। स्वामी जी ने कहा कि माता सबरी पूर्व जन्म में काशी नरेश की पत्नी थीं वे कुंभ स्नान करने गयी थीं। रानी होने की लौकिक मर्यादा के कारण संत-कथा से वंचित रह रही थीं । वहां एकत्रित संतों को देखकर उनको ग्लानि हुई कि रानी बनने से क्या फायदा? प्रयाग में ही शरीर त्याग कर सबरी के रूप में साबर जाति में जन्म लीं । अपनी शादी में भोज की तैयारी हेतु बध्य जानवरों को देख उन्हें दया आ गयी। रात में ही सभी जानवरों को बंधन से मुक्त कर स्वयं भी परिवार से मुक्त हो मतंग ऋषि के आश्रम में चली गयीं| ऋषि उनके दास भाव से प्रसन्न हो बोले कि एक दिन भगवान राम तुम्हारे आश्रम पर आकर दर्शन देंगे।

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