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आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 04 जुलाई 2023 : पटना । बिहार में शिक्षक नियुक्ति नियमावली में स्थानीयता की अहर्ता समाप्त किए जाने के बाद हो रहे विरोध के बीच सोमवार को सरकार की ओर से सफाई दी गई। बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में सरकार की स्थिति साफ की। सुबहानी ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी नियोजन या पद के संबंध में जन्म स्थान के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि केवल जाति, लिंग, जन्म स्थान, निवास के आधार पर कोई अपात्र नहीं होगा और न उससे विभेद किया जाएगा। ऐसी स्थिति में अगर कोई ऐसी प्रक्रिया चलेगी तो वह गैर कानूनी भी होगी और असंवैधानिक भी होगी। यह कानूनी बाध्यता है कि किसी को निवास के आधार पर अयोग्य न किया जाए। उन्होंने कहा कि चयन तो मेरिट के आधार पर होता है।

मुख्य सचिव ने कहा कि बीपीएससी से शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी 1994, 1999 और 2000 में भी इसी पद के लिए परीक्षा ली और तब भी यही नियम था। उन्होंने कहा कि यह नियमावली 1991 में ही बनी थी। उन्होंने साफ लहज़े में कहा कि इस बार भी जो परीक्षा हो रही है, उसमें बिहार के निवासी होने का प्रावधान नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि साल 2012 में भी जो 1 लाख 68 हजार की नियुक्ति हुई है, इसमें सिर्फ 3413 अभ्यर्थी बिहार के बाहर से आए हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमे उसी राज्य के लोग केवल पात्र हों। उन्होंने कहा कि बिहार के निवासी भी उन राज्यों में पात्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे आरक्षण को भी कोई नुकसान नहीं होना है।

उन्होंने यह भी साफ किया कि वैसे यह गैर कानूनी है लेकिन अगर सभी राज्य ऐसा करते हैं और बिहार के युवाओं को एंट्री नहीं दी जाए तो बिहारी युवाओं के लिए हानिकारक होगा। बिहार राज्य सहित देश के किसी कोने के अभ्यर्थी शामिल हो सकेंगे। बिहार लोक सेवक आयोग से अच्छे शिक्षक की नियुक्ति होगी।

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