पत्रकारों को दिया गया डा सच्चिदानंद सिन्हा परिवर्तन मीडिया सम्मान

साहित्य और राजनीति के आदर्श-पुरुष थे आचार्य बदरीनाथ वर्मा

साहित्य सम्मेलन में दोनों विभूतियों की मनाई गई जयंती, 

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 10 नवम्बर 2022 : पटना। बिहार टाइम्स नाम से राज्य का पहला पत्र प्रकाशित करने वाले कवि पत्रकार और संपादक बाबू महेश नारायण और महान शिक्षाविद, बैरिस्टर और राष्ट्र-पुरुष डा सच्चिदानंद सिन्हा ही वे ऐतिहासिक व्यक्तित्व थे, जिनके कारण बंगाल का विभाजन हुआ और बिहार एक प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आया। नए बिहार के निर्माण में डा सिन्हा के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। बिहार विधान मण्डल भवन हो या पटना का विमान-पत्तन, उनके ही द्वारा दान में दी गई भूमि पर निर्मित है। वे भारत की संविधान सभा के भी अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान पर, सभा के अध्यक्ष के रूप में उनका हस्ताक्षर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।

यह बातें, दीदी जी फ़ाउंडेशन के सौजन्य से, गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित जयंती एवं सम्मान-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि सच्चिदा बाबू की लोकप्रियता ऐसी थी कि उन्होंने चार-चार महाराजाओं को चुनाव में पराजित कर केंद्रीय एसेम्बली में अपनी जगह बनाई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिहार के लोग उन्हें भूलते जा रहे हैं। 

डा सुलभ ने जयंती पर महान स्वतंत्रता-सेनानी और बिहार के पूर्व शिक्षामंत्री आचार्य बदरी नाथ वर्मा का स्मरण करते हुए कहा कि बदरी बाबू अपने समय के महान साहित्य-सेवी, पत्रकार, प्राध्यापक, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे। वे शिक्षा और साहित्य ही नहीं राजनीति के भी आदर्श-पुरुष थे। उन पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और महान राजनीति शास्त्री आचार्य चाणक्य का गहरा प्रभाव था। उन्होंने चाणक्य के जीवन से यह सीखा था कि, निजी कार्य में, राज-कोष का एक बूँद तेल भी व्यय नही करना चाहिए। राज्य के शिक्षा विभाग समेत अन्य विभागों के मंत्री रहते हुए उन्होंने इसका अक्षरश: पालन किया। शासन का कुछ भी नही लिया। मीठापुर स्थित अपने अत्यंत साधारण खपरैल घर में रहे,किंतु सरकारी आवास नहीं लिया। 

समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि बिहार के लोगों को डा सच्चिदानंद सिन्हा को पूरी समग्रता से जानना चाहिए। यदि हम उन्हें जानते होते तो उनको उचित सम्मान देते । डा सिन्हा को बिहार ने वह सम्मान नहीं दिया, जिसके वे अधिकारी थे।

बिहार के पूर्व मंत्री वृजनन्दन यादव, पद्मश्री बिमल जैन, जदयु के राष्ट्रीय सचिव राजीव रंजन प्रसाद, आयोजन समिति के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा, नीतू नवगीत, आराधना प्रसाद, डा अर्चना त्रिपाठी, शायरा तलत परवीन, विनीता कुमारी, दिवाकर वर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर, दीदी जी फ़ाउंडेशन की ओर से कमल नयन श्रीवास्तव, प्रमोद दत्त, सुधीर मधुकर, मुकेश महान, आकाश कुमार, मुरली मनोहर श्रीवास्तव, प्रेम कुमार, अमरेश श्रीवास्तव, अश्विनी कुमार राय, रणजीत प्रसाद सिन्हा, संजय कुमार चौधरी, त्रिलोकी नाथ प्रसाद, चंद्रकांत मिश्र, आरती कुमारी, शंभुकांत सिन्हा, सोनिया सिंह, कुंदन कुमार, चेतन थिरानी, नीता सिन्हा, परवेज़ आलम, संदीप उपाध्याय, सुमित यादव, शान्तनु सिंह, रजनीश रंजन, जितेंद्र राज, ऐहतेशाम अहमद, मुकेश सिंह जैतेश, सोनू निगम, अमित कुमार सिंह, मयंक शर्मा, सोनू किशन तथा डी पी गुप्ता को डा सच्चिदानंद सिन्हा परिवर्तन मीडिया सम्मान-२०२२ से विभूषित किया गया। फ़ाउंडेशन की संस्थापिका और शिक्षिका नम्रता आनंद ने अतिथियों का अभिनन्दन किया। मंच का संचालन अचला श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

इस अवसर वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, सदानंद प्रसाद, डा मीना कुमारी परिहार, डा प्रतिभा रानी, कमल किशोर कमल, राजेश कुमार आदि बड़ी संख्या में सुधीजन उपस्थित थे।

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