3 जुलाई को तय है सुनवाई की तिथि

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 05 मई 2023 : पटना । पटना हाईकोर्ट द्रारा  जातीय जनगणना पर रोक के आदेश के दूसरे ही दिन आज जल्द सुनवाई के लिए बिहार सरकार ने याचिका दायर की है। पटना हाईकोर्ट ने तत्काल अंतरिम रोक के साथ अगली सुनवाई 3 जुलाई को करने का आदेश दिया है।इससे बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है।सरकार ने कल ही सभी जिलाधिकारियों को कोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।  आज सरकार ने  इस मामले में मुख्य न्यायाधीश की बेंच में याचिका दायर की है.  राज्य सरकार अपने खर्च पर प्रदेश में कररीब तीन घरों में  12.7 करोड़ की आबादी की जाति की गिनती के साथ उनकी आय,रोजगार, घर का स्वरूप और खेत आदि सहित 17 सवालों से जानकारी ले रही थी । चलने वाले इस विशेष कार्यक्रम के तहत 80% काम पूरा कर लिए जाने का सरकारी आकलन है।

 राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि  जनहित याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर कोर्ट ने अपना निर्णय अंतिम रूप से दे दिया है. इस कारण इन याचिकाओं की सुनवाई 3 जुलाई 2023 के पूर्व ही करके इनका निष्पादन कर दिया जाए. राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका में ये कहा गया है कि क्योंकि पटना हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातीय जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है, इसीलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई 2023 को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है. जातीय गणना को लेकर कोई कानून या नियम बनाये बगैर कार्यपालक आदेश के तहत अधिसूचना जारी हुई थी। इसमें जातीय गणना कराने का ध्येय और उद्देश्य का भी उल्लेख नहीं होने का खुलासा हुआ है। जातीय गणना को जातीय सर्वे कहा गया है जबकि व्यवहार में है जातीय गणना ही है। प्रशासनिक आदेश में जातीय गणना का उल्लेख हो रहा है।  बिहार सरकार की तरफ से  जल्दी सुनवाई किए जाने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास याचिका दायर की है. सामान्य प्रशासन के उप सचिव रजनीश कुमार ने एफिडेविड दायर किया है. 

 बिहार में दो चरणों में जातिगत गणना करायी जा रही थी. पहले चरण में मकानों की गणना की गई और यूनिक नंबर दिया गया था. दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ. 15 मई तक इसे पूरा कर लेना था. अब हाईकोर्ट ने गणना कार्य पर रोक लगा दी है. 3 जुलाई को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है.क्या हुआ अबतकः नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जातीय गणना पिछले साल ही शुरू कराने का फैसला लिया था. 9 जून 2022 को बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित गणना कराने की अधिसूचना जारी की थी. सरकार की ओर से कैबिनेट में 500 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी. 7 जनवरी 2023 से जाति आधारित गणना की प्रक्रिया शुरू हुई थी. दूसरे चरण का कार्य 15 अप्रैल से शुरू हुआ. 15 मई तक पूरा कर लेना था. 215 जातियों को कोड देकर गिनती की जा रही है.

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