रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : बड्डी में प्रवचन करते हुए श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि भगवान का भक्त उत्तरायण में मरे या दक्षिणायन में कोई फर्क नही पड़ता है। यदि हमारा लक्ष्य ठीक नहीं है तो उत्तरायण में मरकर भी फल को प्राप्त नहीं करेंगे। और यदि हमारा उदित लक्ष्य ठीक होगा तो हम दक्षिणायन में मरकर भी उत्तरायण का जो सुकृत होता है वह फल प्राप्त करेंगे। भागवत कथा में भगवान ने कहा है कि यदि मेरा भक्त है जिंदगी भर हमारा भजन किया है और मरते समय हमको उसने याद नही किया तो भी मै अपने भक्तों को याद करता हूं। वह अपनी परम गति को प्राप्त करता है। वात, पित्त,कफ यह तीनों घेर ले और अपने आप में जो जो व्यक्ति मरते समय जिस जिस भावना से मरता है मरने के बाद उसी गति को प्राप्त होता है।

भागवत कथा सुनने से शुद्धि होती है।

जब सनक, सनंदन, सनातन, सनत् कुमार इन चारों भाईयों ने कहा कि हे भक्ति माता आप यह वरदान दीजिए कि जहां भी आपका भक्त लोग रहें उनके हृदय में आपका वास होना चाहिए। इस प्रकार जहां भक्ति रहेगी वहां भगवान आएंगे ही। जहां भगवान के भक्त होंगे वहां भगवान आएंगे ही। जहां भगवान की चर्चा होगी परिचर्चा होगी वहां भगवान आएंगे ही। कोई भी व्यक्ति चाहे धूर्त हो, पापी पशु, पक्षी, कीट पतंग वह भी पाप मुक्त हो जाते है। परंतु उसे सबकुछ त्याग कर भागवत कथा सुनने का मन बनाना पड़ेगा। संकल्प लेना पड़ेगा अब मेरे द्वारा कोई गलत काम नही किया जाएगा। पहले के बुरे कर्मों पर पश्चाताप करे तभी ऐसा हो सकता है। भागवत कथा ऐसी कथा है जिसके सुनने से सबलोग अपने आप में शुद्ध हो जाते हैं।

भगवान के भक्तों के साथ अपराध करने पर भगवान भी माफ नही कर सकते है।

एक है भगवान के भक्तों का अपमान करना। जो भगवान के भक्तों का अपमान करता है उसको भगवान भी माफ नही कर सकते है। उसे दण्ड भोगना ही पड़ेगा। जय विजय ने भी भगवान के भक्त का अपमान किया था। भगवान ने तीन जन्मों तक राक्षस बना दिया। राजा अम्बरीष को अकारण ही दुर्वासा ऋषि ने अपमान किया। तब भगवान ने दुर्वासा को माफ नहीं किया।

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