रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 26 मार्च 2021 : पटना। केन्द्रीय कृषि कानून के विरोध मे किसानों के 4 माह से जारी आंदोलन के समर्थन में आज भारत बंद का आयोजन हुआ। वहीं विधानसभा में पुलिस के प्रवेश और विपक्षी विधायकों के साथ बदसलूकी के विरोध में राजद ने बिहार बंद का आयोजन किया। इसका मिलाजुला असर रहा। भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार “अनजान” ने प्रेस वक्तव्य में कहा कि केंद्र सरकार लगातार किसानों मजदूरों पर कहर बरपा रही है। दिल्ली में धरने पर बैठे तीन लाख किसानों के आंदोलन के 4 महीने पूरे होने के अवसर पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति एवं संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 26 मार्च को शांतिपूर्ण तरीके से लगभग “संपूर्ण भारत बंद” रहा l दक्षिण भारत मैं तेलंगाना , आंध्र , कर्नाटक पूर्णता बंद रहा l कई जगहों पर 6 से 8 घंटे तक सड़कें बाधित रही l केरल , तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के बावजूद कुछ जिलों में पूर्ण हड़ताल रही l पंजाब, हरियाणा , मध्य प्रदेश ,राजस्थान , झारखंड , बिहार राज्य में किसान ,मजदूर ,युवा, छात्र , महिला संगठनों ने पहल करके बंद को सफल बनाया l बिहार में कुछ जगहों पर पुलिस से बंद में भाग ले रहे प्रदर्शनकारियों की झड़प की खबरें मिली है । पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र , उड़ीसा, बिहार और झारखंड में बड़े पैमाने पर ट्रेनों का आवागमन अवरुद्ध रहा ।पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच राजस्थान में , मध्यप्रदेश के ग्वालियर , इंदौर , गुना सहित सागर में नोकझोंक हुई l कश्मीर में भी किसान मजदूरों ने राष्ट्रीय राजमार्ग को कई घंटों तक जाम रखा। उत्तर प्रदेश और विशेषकर पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक पैमाने पर दुकाने दुखाने कारखाने और परिवहन बंदी रही ।राजधानी लखनऊ में भी कई हिस्सों में बंदी देखी गई । लेकिन पुलिस के जवान जबरदस्ती दुकानें खुलवाने की चेष्टा में लगे रहे ।कई जगहों पर कई जिलों में पुलिस ने बेरहमी से आंदोलनकारियों के साथ अभद्र व्यवहार किया ।यद्यपि मुख्यमंत्री ने यह आदेश दिया था कि पुलिस मांग पत्र ले ले ।बावजूद इसके उन प्रदर्शनकारियों को राज्य अधिकारियों ने अपमानित किया । गुजरात में राज्य की भाजपा सरकार ने प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं सहित किसान, मजदूर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जबरदस्ती एक दिन पहले ही गिरफ्तार कर पुलिस थानों में बैठा रखा ।बावजूद इसके वलसाड , सूरत , बड़ौदा , अहमदाबाद सहित आधा दर्जन जिलों में पुलिस और किसानों मजदूर प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई हुई और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बेरहमी से पीटा । गुजरात में 2 दिन से आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर पुलिस राज कायम कर दिया गया । बस और ट्रक और ट्रेनों की पुलिस द्वारा सघन तलाशी ली गई और जनतांत्रिक प्रतिरोध को विफल करने की साजिश रची गई । अतुल कुमार “अनजान” ने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में आंदोलनकारियों के जनतांत्रिक अधिकार पर हमला एवं पुलिसिया दमन की तीव्र निंदा की । राज्य सरकारों ने पुलिस का प्रयोग कर दमन का रास्ता अपनाया । बावजूद इसके व्यापक जन समर्थन के कारण “भारत बंद” सफल रहा । बंद के समर्थन में देश के 500 से अधिक किसान संगठनों और और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने खुला समर्थन दिया । राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस पार्टी , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी , फॉरवर्ड ब्लॉक, जनता दल सेकुलर , आप पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी , शिरोमणि अकाली दल , समाजवादी पार्टी , नेशनल कॉन्फ्रेंस , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी , रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , राष्ट्रीय जनता दल , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी , शिवसेना , राष्ट्रीय लोक दल , झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों ने “भारत बंद” का खुला समर्थन किया ।

किसानों एवं मजदूरों की 7 प्रमुख मांगे हैं :
(1) केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए 3 किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाए।(2) सभी कृषि उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सुनिश्चित खरीदारी हो तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी बनाकर दिया जाए (3) स्वामीनाथन कमीशन की सभी सिफारिशों को लागू किया जाए (4) सरकारी , सहकारी बैंको एवं महाजनों द्वारा किसानों को दिए गए ऋणों को तत्काल माफ किया जाए (5) बिजली बिल 2020 को तत्काल वापस लिया जाए (6) मजदूरों के खिलाफ श्रम कानूनों को वापस लिया जाए (7) सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा में चल रही कंपनियों एलआईसी, हवाई अड्डा , बंदरगाह , जीआईसी , बैंक, रेल, गेल सहित अन्य कंपनियों निजीकरण पर तत्काल रोक लगाया जाए । किसान सभा महासचिव अतुल कुमार “अनजान” ने आगे कहा कि इस 4 महीने के आंदोलन के क्रम में केंद्र सरकार के कई तरह की यातनाओं का सामना किसानों मजदूरों को करना पड़ा है, सरकार द्वारा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से 11 दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। आंदोलन विभिन्न संगठनों द्वारा शांति पूर्ण ढंग से आयोजित किया जा रहै है, जिसमें लाखों किसानों के साथ ग्रामीण जन, महिलाएँ, छोटे व्यापारियों के संगठनो का व्यापक सहयोग और समर्थन मिल रहा है ।
अखिल भारतीय किसान सभा के अतुल कुमार “अनजान” ने साफ शब्दों में कहा कि बिना मांगों के स्वीकार किए जाने के किसान अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे बल्कि इस “भारत बंद” ने यह दिखा दिया कि किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को देश की जनता का व्यापक समर्थन है । सरकार को चाहिए कि तत्काल अपनी साफ सोच के साथ किसान संगठनों से वार्ता करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network