आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 25 सितम्बर 2022 : लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने वक्फ संपत्तियों की जांच का फैसला लिया है। सरकार ने 33 साल पुराने आदेश को रद्दा करते हुए वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का सर्वे कर महीने भर में राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने के आदेश दिए हैं। बताया गया कि सूबे के सभी 75 जिलों में जितनी भी संपत्ति वक्फ के पास है उसे वक्फ के नाम से अभिलेखों में दर्ज किया जाएगा। इसके अलावा कोई भी जमीन हड़पी या फिर बेंची नहीं जाएगी। सिर्फ सर्वे के जरिए उसे चिन्हित किया जाएगा। यूपी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सर्वे के संबंध में शासनादेश भी जारी किया गया है। इसके अनुसार 7 अप्रैल 1989 से लेकर अभी तक बीते 33 सालों में वक्फ की जो भी बंजर, ऊसर या अन्य जमीन है जो रिकॉर्ड में दर्ज नहीं उसका ब्यौरा जुटाया जाएगा।

साथ ही उन्होंने निर्देश दिए हैं कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज किया जाए। इतना ही नहीं प्रदेश भर के 75 जिलों में जितनी भी जमीनें हैं उन्हें वक्फ के नाम से अभिलेखों में दर्ज कराया जाए। साल 1989 में जारी किए गए एक गलत आदेश के आधार पर बंजर, ऊसर आदि सार्वजनिक संपत्तियां वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज की गई थी। यह आदेश राजस्व कानूनों और वक्फ अधिनियम दोनों के खिलाफ था। अब 33 साल पुराने इस शासनादेश को रद्द कर दिया गया है। अल्पसंख्यक विभाग ने सभी जिलों के कमिश्नर और डीएम को निर्देश जारी किए हैं। उनसे कहा गया है कि इन संपत्तियों का रिव्यू कर जो भी नियम के खिलाफ वक्फ में दर्ज हुई हैं, उन्हें रद्द कर राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त किया जाए। इस पूरी प्रक्रिया को 8 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए कहा गया है। अब से करीब 33 साल पहले 7 अप्रैल 1989 को राजस्व विभाग ने एक आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि राजस्व अभिलेखों में वक्फ की संपत्तियां अधिकतर बंजर, ऊसर, भीटा आदि के तौर पर दर्ज है, जबकि मौके पर वक्फ हैं। ऐसी संपत्तियों, भूमि को राजस्व अभिलेखों में वक्फ संपत्ति जैसी स्थिति हो सही रूप से दर्ज किया जाए और फिर उसका सीमांकन किया जाए। इस आदेश को आधार बनाकर प्रदेश में बहुत सी ऐसी संपत्तियां जो राजस्व अभिलेखों में बंजर, ऊसर आदि थीं, उनको अभिलेखों में वक्फ दर्ज कर दिया गया।

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