आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 10 दिसंबर 2023 : प्रयागराज (यूपी) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि पत्‍नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक है तो वैवाहिक बलात्कार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। अदालत ने एक पति को अपनी पत्‍नी के खिलाफ ‘अप्राकृतिक अपराध’ करने के आरोप से बरी करते हुए यह टिप्पणी की। यह मानते हुए कि इस मामले में आरोपी को आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता, न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस देश में अभी तक वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना गया है।

https://youtu.be/wbm9rlA22ms?si=wFNs1lqGkwG7RV9Y

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि चूंकि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाएं अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित हैं, जब तक शीर्ष अदालत मामले का फैसला नहीं कर देती, जब तक पत्‍नी 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की नहीं हो जाती, तब तक वैवाहिक बलात्कार के लिए कोई आपराधिक दंड नहीं है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पिछली टिप्पणी का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि वैवाहिक रिश्ते में किसी भी ‘अप्राकृतिक अपराध’ (आईपीसी धारा 377 के अनुसार) के लिए कोई जगह नहीं है।

शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उनका विवाह एक अपमानजनक रिश्ता था और पति ने कथित तौर पर उसके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार और जबरदस्ती की, जिसमें अप्राकृतिक यौनाचार भी शामिल था। अदालत ने उसे पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (498-ए) और स्वेच्छा से चोट पहुंचाने (आईपीसी 323) से संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया, जबकि धारा 377 के तहत आरोपों से बरी कर दिया। इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने की याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ।

केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा था कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किए जाने से समाज प्रभावित होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !! Copyright Reserved © RD News Network