रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 02 अक्टूबर 2021 : नई दिल्ली । बिहार में विधानसभा की दो सीटों लिए 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव के पहले चुनाव आयोग ने लोक जनशक्ति पार्टी के बंगलाचुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया है।यह चिराग के लिए झटका है जो कुशेश्वरस्थान और तारापुर में उम्मीदवार देने की तैयारी में हैं। चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजा चिराग पासवान के बीच चल रहे विवाद में चुनाव आयोग ने लोजपा का चुनाव चिह्न बंगला फ्रीज कर दिया है। आयोग के फैसले के मुताबिक अब दोनों ही नेता और उनके पक्ष लोक जनशक्ति पार्टी के चिन्ह का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।लोजपा के चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने के साथ ही चुनाव आयोग ने कहा कि चिराग पासवान और पशुपति पारस, दोनों को ही पार्टी के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। चुनाव आयोग ने दोनों ही पक्षों को अंतरिम हल निकालने के लिए भी कहा है।चुनाव आयोग ने कहा है कि दोनों पक्ष पार्टी के नाम और चिह्न को लेकर जल्द ही विवाद का हल निकालें। उप चुनाव के पहले चुनाव आयोग का बड़ा फैसला चुनाव आयोग का ये फैसला ऐसे समय पर आया है जब बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने वाले हैं. मुंगेर के तारापुर और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान में 30 अक्टूबर को वोट डाले जाने हैं. उप चुनाव की नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ऐसे में लोक जनशक्ति पार्टी को जल्द ही विवाद का निपटारा करना होगा.
चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को लिखा था पत्र
दरअसल पिछले काफी समय से चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच पार्टी पर अलग-अलग दावेदारी पेश की जा रही है। चिराग ने हाल ही में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था और उनके चाचा पशुपति पारस के पार्टी प्रमुख होने के दावे को खारिज करने की अपील की थी।चाचा-भतीजे के बीच विवाद की शुरुआत लोजपा के संस्थापक केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद ही हो गई थी। रामविलास पासवान के निधन के बाद बिहार विधानसभा के चुनाव में जदयू विरोधी पार्टी के प्रदर्शन से नाराज पांच सांसदों ने पशुपति पारस के नेतृत्व में बगावत कर दी थी। पारस गुट ने खुद को असली जनशक्ति पार्टी बताते हुए लोकसभा में स्पीकर से जगह मांगी थी, जिसको मंजूरी मिल गई थी। इसके साथ ही इस गुट का नेतृत्व करने वाले पशुपति पारस को केंद्रीय कैबिनेट में भी शामिल कर लिया गया ।वहीं चिराग भी लगातार उनके गुट को असली लोजपा बताते रहे।