रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : 15 अप्रैल 2021 : सासाराम । पिछले डेढ़ सालो से कोरोना के आड़ में पुरे देश में शिक्षा व्यवस्था ठप्प करने पर तत्पर है केंद्र एवं राज्य सरकार उक्त बातें प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ एस पी वर्मा ने एक प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा की केंद्र सरकार के आदेशानुसार मार्च 2020 से लॉक डाउन के तहत सभी विद्यालयों को भौतिक तौर पर संचालित करने पर रोक लगाया गया था जिसके फलस्वरूप सभी विद्यालयों में पठन-पाठन बंद कर दिया गया। पिछले 3 महीनों से बिहार सरकार के आदेश अनुसार कक्षा प्रथम से आठवीं तक विद्यालय सुचारू रूप से चले है और इतने दिनों में किसी भी विद्यालय में कोई भी कोरोना का मामला प्रकाश में नहीं आया है। इस दौरान सभी संचालक अपने अपने विद्यालय में कोरोना गाइडलाइन्स के सभी मानकों का अक्षरशः पालन करते हुए विद्यालयों का संचालन करते रहे है उसके बाद भी बिहार सरकार के गृह विभाग के विशेष शाखा द्वारा पुलिस महानिदेशक, बिहार एवं मुख्य सचिव, बिहार के संयुक्त आदेश पत्रांक संख्या 34 दिनांक 03 अप्रैल 2021 के माध्यम से सभी विद्यालयों को 05 अप्रैल से 11 अप्रैल तक बंद करने का आदेश पारित कर दिया गया साथ ही पत्रांक संख्या 2020 – 2623 दिनांक 09 अप्रैल 2021 के माध्यम से विद्यालयों को 18 अप्रैल तक बंद करने का निर्देश पारित किया गया है।
राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ वर्मा ने कहा की किसी भी आदेश के पूर्व किसी भी विद्यालय समिति को लॉक डाउन के दौरान पठन-पाठन करवाने के सम्बन्ध में कोई भी प्लानिंग करने का न तो समय दिया गया और न ही किसी भी अधिकारी से इस विषय पर चर्चा किया गया। इस तरह यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा की सरकार की यह सोची समझी रणनीति है जिसके तहत वह पुरे शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करने के लिए तत्पर है। शायद ये अधिकारी भूल रहे है की आज इसी शिक्षा व्यवस्था की वजह से वे पढ़ाई कर के अधिकारी बन पाए हैं और यदि यही हालात रहे तो शिक्षा का अलख इस देश से हमेशा हमेशा के लिए बुझ जायेगा। फिर न तो कोई बच्चा अधिकारी बनने का सपना देख पायेगा और न ही डॉक्टर बनने का।
राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ वर्मा ने बिहार सरकार से कुछ सवाल किया है :
- गत वर्षों से आरटीई की लंबित राशि का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया जाना विद्यालयों को छतिग्रस्त करने की साजिश है।
2. पिछले 5 अप्रैल 2021 से 11अप्रेल तक प्रथम चरण में सभी संस्थाओं को छोड़कर केवल शिक्षण संस्थाओं को बन्द किया गया फिर इस की अवधि बढ़ा कर 18 अप्रेल 2021 तक कर दी गई है। जब की सारी विर्दिनिष्ट एवं प्राईवेट संस्थान खुली हुई हैं। क्या इसके पीछे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को भविष्य में पूर्णतः बंद करने की कोशिश तो नहीं है ?
3.किसी भी तरह की संस्थान सरकारी या प्राइवेट जो खुली हुई हैं। क्या वहां करोना संक्रमण का खतरा नहीं है ?
4.क्या सरकार सुनिश्चित करती है कि बच्चे खेलने की जगह,पार्क,मौल, सिनेमाघरों, विवाह समारोह में नहीं जा रहे हैं? अगर जा रहे हैं तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़ा होता है।
5.प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के बंद होने से बेरोजगार हुए कर्मचारियों के लिए कोई सुविधा या सुरक्षा का प्रवधान सरकार के लिए है ? अगर नहीं है तो सरकार की व्यवस्था पर सवाल खड़ा उठता है।
6.अप्रैल से मई तक प्राइवेट संस्थानों में नामांकन की प्रक्रिया चलती है, संस्थान बंद होने से यह प्रक्रिया पुर्णत: थम सी गई है। जबकि सरकारी विद्यालयों में नामांकन प्रक्रिया प्रारंभ है। क्या सरकार नहीं चाहती है कि प्राइवेट संस्थानों में नामांकन हो ? क्या सरकारी विद्यालयों में नामांकन कम हो रही है थी जिसके चलते सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों को बंद किया है ? जिसके वजह से अभिभावक सरकारी विद्यालयों की ओर जाने को विवश हैं।
7.अगर सरकार पुर्णत: लाकडाउन नहीं लगा सकती है तो करोना प्रोटोकॉल के अंतर्गत शिक्षण संस्थानों को भी खोलने की अनुमति दे।
8 . पिछले डेढ़ सालों से विद्यालय बंद होने के कारण स्कूल फीस नहीं आई जिसके वजह से पूर बिहार के लाखों कर्मियों को वेतन भुगतान नहीं किया जा सका है और आज उनके परिवार की स्थिति दयनीय हो गई है। इसलिए सरकार से निवेदन है कि वे शिक्षक एवं कर्मचारियों को ₹10,000 एवं 50 किलोग्राम अनाज प्रतिमाह देने की व्यवस्था करें।
इस प्रेस वार्ता को सफल बनाने में रोहतास जिला अध्यक्ष रोहित वर्मा, जिला उपाध्यक्ष सुभाष कुमार कुशवाहा, ज़िला सचिव समरेंद्र कुमार (समीर जी), जिला सह सचिव संग्राम कांत, जिला महामंत्री अनिल कुमार शर्मा , सुनील कुमार, संजय त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष कुमार विकास प्रकाश, जिला संयोजक धनेन्द्र कुमार, ज़िला जनसम्पर्क पदाधिकारी दुर्गेश पटेल , डिहरी प्रखंड अध्यक्ष अरविंद भारती, सचिव प्रशांत सिंह, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद , चेनारी प्रखंड अध्यक्ष दिनेश्वर तिवारी, नस्रिगंज प्रखंड अध्यक्ष अजय कुमार सिंह, प्रखंड उपाध्यक्ष सोनू आनंद, प्रखंड सचिव सतनारायण प्रसाद, प्रखंड संयुक्त सचिव सैयद अबरार आलम, प्रखंड संयुक्त सचिव कपिल मुनि प्रसाद, प्रखंड पी आर ओ सरमद नसरुल्ला, प्रखंड संरक्षक निलेश कुमार, प्रखंड महामंत्री लक्ष्मण सिंह क़ाराकाट प्रखंड अध्यक्ष सुनील कुमार, प्रखंड उपाध्यक्ष करुणेश कुमार शांडिल्य, प्रखंड सचिव आदित्य राज, कोषाध्यक्ष बबन कुमार, प्रखंड पीआरओ अविनाश सिंह, प्रखंड संरक्षक अरुण कुमार, विक्रमगंज प्रखंड अध्यक्ष अनिता देवी, संरक्षक भारती जी , उपाध्यक्ष कमलेश कुमार , राजपुर प्रखंड अध्यक्ष यमुना चौधरी, सासाराम प्रखंड अध्यक्ष तेजनारायण पटेल , उपाध्यक्ष धनंजय सिंह, कोषाध्यक्ष तौकीर आलम, कोचस सचिव धनंजय कुमार, कोषाध्यक्ष रविन्द्र कुमार, करगहर प्रखंड अध्यक्ष अजित कुमार पटेल, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार , सचिव ब्रजेश पांडेय , कोषाध्यक्ष अरविंद कुमार , संझौली प्रखंड अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह , उपाध्यक्ष सोनू कुमार पांडेय, सूर्यपुरा प्रखंड अध्यक्ष शिव यश पाल, दावथ प्रखंड अध्यक्ष विश्वजीत कुमार, शिवसागर प्रखंड अध्यक्ष चंदन कुमार राय ,तिलौथु प्रखंड अध्यक्ष मनोज सिंह , अकोढ़िगोला प्रखंड अध्यक्ष अशोक पाल, उपाध्यक्ष राजीव रंजन कुमार , सचिव बिनायक सिंह, डॉ आशुतोष पांडेय ने अहम योगदान किया।