दावथ : सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा पर्व करवा चौथ आज मनाया जायेगा । यह पर्व अपने पति के दीर्घायु होने की कामना के लिए होता है। सुहागिन महिलाएं उपवास रखकर शाम के वक्त अर्घ्य देती हैं। फिर पारण करती हैं। इसी उत्साह व कामना के बीच वह घरों में काम करते वक्त ‘दीपक मेरे सुहाग का हमेशा जलता रहे, सुहागिनों के सुहाग से जुड़ा यह प्रसिद्ध गीत सुहागिन महिलाएं बड़े उत्साह के साथ गाती हैं । सुहाग के लंबी आयु से जुड़ा व्रत करवा चौथ 4 नवंबर को है। दावथ प्रखंड में भी करवा चौथ की धूम है। महिलाएं इस दौरान हाथों में मेहंदी रचाकर सोलह श्रृंगार कर पति की पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं। यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सावित्री ने अपने तप के बल पर पति सत्यवान को यमराज से मुक्त कराया था। यमराज से उन्होंने अपने पति की लंबी आयु का वरदान हासिल किया था। यह व्रत आमतौर पर शादी शुदा महिलाएं ही करती हैं। करवा चौथ पर महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर उसे अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं |
पंडित मोदनारायण तिवारी बताते हैं कि महिलाएं दिनभर निर्जल उपवास रखती हैं। चंद्रोदय में गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। व्रत तोड़ने से पूर्व चलनी में दीपक रखकर उसकी ओट से पति की छवि को निहारने की परंपरा का निर्वहन करती हैं। इस दिन बहुएं सास को चीनी के करवे, साड़ी, श्रृंगार सामग्री प्रदान करती हैं। पति की ओर से पत्नी को तोहफा देने का चलन भी है। इस पर्व का हिंदू रीति रिवाज मे बहुत महत्व है।