रोहतास दर्शन न्यूज़ नेटवर्क : दावथ : प्रखंड क्षेत्र के कोआथ नगर पंचायत के योगिनी गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समाप्ति के अंतिम दिन कथा वाचक पंडित बृज किशोरपाण्डेय ने कहा कि भागवत कथा सुनने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्हें सत्य और असत्य का बोध होता है। कष्ट से मुक्ति मिलती है। लोगों को निष्ठा और श्रद्धा से इस कथा का श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा में भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की प्राप्ति के बारे में बताया गया है। व्यास जी को 17 पुराण लिखने के बाद भी असंतोष था तो उन्होंने नारद जी की प्रेरणा से 18 वें पुराण की रचना की। इस रचना से वे काफी प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि भागवत में सूत जी से भजियों ने छह प्रश्न पूछे जिसके उत्तर भागवत में सानिध्य हैं। कथावाचक ने कहा कि राजा परीक्षित एक दिन जंगल से शिकार कर लौट रहे थे। रास्ते में उन्हें एक मुनि ध्यानमग्न मिला। उन्होंने उसके गले में एक मरा हुआ सांप डाल दिया। मुनि के पुत्र ने अपने पिता के गले में मरे सांप को देखकर राजा परीक्षित को श्राप दिया कि यही सांप सातवें दिन तुझे काटेगा जिससे तुम्हारी मौत होगी। मुनि पुत्र के श्राप से आहत राजा ने सुखदेव जी को इससे मुक्ति के लिए भागवत कथा सुनाने को कहा। व्यास ने कहा कि इस कथा के सुनने से राजा परीक्षित को अपनी गलती का एहसास हुआ। इस मौके पर काराकाट के पूर्व विधायक राजेश्वर राज,सत्यव्रत द्विवेदी, जगदीश नारायण दुबे सहित कई लोग उपस्थित थे।

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