आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 15 मार्च 2022 : बिहार विधानसभा की कार्यवाही में मंगलवार को अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा नहीं पहुंचे। एक दिन पहले लखीसराय में स्पीकर से दुर्व्यवहार के मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी सदन में बहस हुई थी। विजय सिन्हा की जगह प्रेम कुमार आसन पर बैठे। कार्यवाही शुरू होने से पहले ही स्पीकर के अपमान का आरोप लगाकर विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया। हाथ पर काली पट्टी बांधकर सदन में आए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायकों ने नीतीश पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। विपक्ष ने कहा कि अध्यक्ष खुद सदन में आकर सफाई दें। दूसरी पाली में राजद नीतीश के इस्तीफे की मांग को लेकर वेल में आ गया। भारी हंगामे के बीच विधानसभा की दोनों पलियों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार विधानसभा अध्यक्ष के बीच लखीसराय में स्पीकर से दुर्व्यवहार को लेकर बहस हुई थी। नीतीश ने अध्यक्ष पर संविधान का खुलेआम उल्लंघन करने का आरोप लगा दिया था। जवाब में सदन अध्यक्ष ने भी तल्ख लहजे में पूछा था कि आप ही बताएं कि कैसे कार्यवाही की जाए। मामले को लेकर खूब बयानबाजी हुई थी। मंगलवार को विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही विपक्ष ने काली पट्टी बांधकर हंगामा खड़ा कर दिया।

विजय कुमार सिन्हा के विधानसभा नहीं पहुंचने पर विपक्ष सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगा। मनेर में चारपोशी करने गए नीतीश भी विधानसभा नहीं आए। आसन की कार्यवाही प्रेम कुमार ने संभाली। विरोध होता देख संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कोई भी अशोभनीय बात नहीं कही है। राजद प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष आकर सदन में सफाई दें। इस पर प्रेम कुमार ने कहा कि यह कौन सी परंपरा है कि अध्यक्ष सफाई दें। भारी हंगाने के बीच सदन की कार्यवाही को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। दूसरी पाली में दो बजे भी विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा नहीं पहुंचे। विपक्ष के विधायक सीएम के इस्तीफे की मांग पर वेल में आ गए। इस पर चार बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

इस पूरी घटना के बाद बिहार का पूरा विपक्ष अब विजय कुमार सिन्हा के समर्थन में आ गया है मंगलवार को घटना के विरोध में विपक्ष के सारे सदस्य काली पट्टी बांधकर विधानमंडल पहुंचे जहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और बिहार में तानाशाही शासन चलाने का विरोध किया। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री जिस तरह से कल विधानसभा के अंदर अध्यक्ष के भी शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे वह कहीं से भी एक मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता है। अध्यक्ष किसी भी सदन का प्रमुख होता है। उनका सम्मान करना सभी के लिए जरूरी है।

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