नीतीश कुमार से मेरी कोई व्यक्तिगत नहीं, सैद्धांतिक व विचारधारा की लड़ाई है
नीतीश कुमार का राजनीतिक तौर पर शब्द को नहीं समझना बिहार का दुर्भाग्य-सम्राट
नीतीश कुमार ने 19 फरवरी, 2014 को कहा था- रहे या मिट्टी में मिल जाए अब भाजपा के साथ जाना संभव नहीं’, तब मिट्टी में मिल जाए शब्द का क्या अर्थ था?
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 23 अप्रैल 2023 : पटना। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने शनिवार को दिए अपने वक्तव्य पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया पर कहा है कि मुख्यमंत्री का राजनीतिक तौर पर के शब्द का अर्थ नहीं समझना दुर्भाग्यपूर्ण है। कभी भाजपा को खत्म कर देने का संकल्प लेने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी कोई व्यक्तिगत लड़ाई-झगड़ा न थी और न है। उनकी लड़ाई सिद्धांत व विचारधारा से है। अपने कार्यकर्ताओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा है कि सिद्धांत व नीतिविहीन राजनीति करने वाले नीतीश कुमार को राजनीतिक तौर पर मिट्टी में मिलानेसका वे कमिटमेंट करें। मगर मुख्यमंत्री उनके बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर अपनी राजनीतिक हताशा व निराशा को दर्शा रहे हैं।
श्री चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को 19 फरवरी, 2014 को दिए गए अपने उस बयान का याद करना चाहिए, जब उन्होंने कहा था कि-रहे या मिट्टी में मिल जाए, अब भाजपा के साथ जाना संभव नहीं है। यह अलग बात है कि अपनी पलटीमार राजनीति के तहत 2017 में एक बार फिर उन्होंने पलटी मारी और भाजपा के साथ आ गए। अब जब भाजपा के दरवाजे उनके लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसकी घोषणा कर दी है तो अब यह बिलकुल स्पष्ट है कि भाजपा उन्हें किसी भी स्थिति में स्वीकार करने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि कुर्सी की अवसरवादी राजनीति करने वाले नीतीश कुमार बिहार की जनता की नजरों से भी गिर चुके हैं। उनकी राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है। किसी बयान को तोड़-मरोड़ कर के भी वे अब दुबारा बिहार की जनता का भरोसा हासिल नहीं कर सकते हैं। भाजपा उनसे राजनीतिक तौर पर लड़ रही है और पूरी मजबूती से आगे भी लड़ती रहेगी। बिहार की जनता का विश्वास भाजपा के साथ है। जनता के साथ विश्वासघात करने वाले नीतीश कुमार को भाजपा हर मोर्चे और मुद्दे पर बेनकाब करेगी और आने वाले चुनावों में बिहार के मतदाता उन्हें सबक सिखाएंगे।