रिपोर्ट विश की विश्वसनीयता पर विपक्ष उठा रहा सवाल, नीतीश बतायें, कुछ चुनिंदा पिछड़ी जातियों की संख्या ही क्यों घटी-सुशील कुमार मोदी , लालू प्रसाद ने 2011 में जातीय जनगणना क्यों नहीं करवा ली ?
कैबिनेट प्रस्ताव की कॉपी फाड़ने वाले राहुल गांधी ने तब क्यों नहीं करायी जातीय जनगणना?
राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पांच साल तक क्यों नहीं कराया गया सर्वे ?
आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 06 नवंबर 2023 : पटना। बिहार विधानमंडल में मंगलवार को पेश होगी जातीय गणना की रिपोर्ट । इसकी पुष्पटि परिषद के सभापति देवेंद्र चंद्र ठाकुर ने की है। 2 अक्टूबर को सरकार ने जातीय गणना से संबंधित रिपोर्ट जारी कर जानकारी दी थी राज्य में कुल 215 जातियों की अलग- अलग कितनी आबादी है। आर्थिक, सामाजिक दशा की रिपोर्ट का इंतजार था। सम्भवत मंगलवार को रिपोर्ट पेश कियो जाने बाद इस पर विशेष चर्चा करायी जा सकती है। जिसकी जितनी आबादी उतना मिले हक का हिमायती सत्तारूढ गठबंधन की सरकार नया आरक्षण का फार्मूला लागू करने का प्रसभी ला सकती है।
नीतीश सरकार ने 500 करोड रुपये के बजट पर आजाद भारत में पहली बार बिहार में जाती गणना कराकर पूरे देश के लिए इसकी राह दिखाई है। अनुसूचित जाति की 18% और जनजाति की 2% मौजूदा आबादी के आधार पर कानून आरक्षण की सीमा बढानी होगी। अभी 16% और 1% है पिछड़े के लिए 12& और अति पिछड़े के लिए 18% है। पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए 4% आरक्षण है। रिपोर्ट के अनुसार अति पिछडे 36.01%,पिछड़ा वर्ग 27.12 और सामान्य जाती की 15 .12% की है आबादी। यादव14.26%,कुशवाहा 4.21%,कुरमी 2.87: अनुसूचित जाति 19.65% और अनुसूचित जनजाति की 1.68% की आबादी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार सामान्य जाति में ब्राह्मण 3.67%राजपूत 3.45% भूमिहार 2.89% और कायस्थ की 0.60% आबादी सामने आई है।
इधर पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार विधानसभा में बतायें कि चंद्रवंशी, धानुक, कुशवाहा जैसी कई पिछड़ी जातियों और ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, कुशवाहा जैसी अगड़ी जातियों की आबादी कम कैसे हो गई? उन्होंने कहा कि 1931 की जातीय जनगणना और 2023 के जातीय सर्वे के अनुसार बिहार में यादवों की आबादी 12.7 फीसद से बढ़ कर 14.3 फीसद हो गई और मुस्लिम आबादी 14.6 से बढ़ कर 17.7 फीसद हो गई, लेकिन दो दर्जन से ज्यादा अगड़ी-पिछड़ी जातियों की आबादी 92 साल में घट कैसे गई? मुख्यमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए। सुशील मोदी ने कहा कि जो लोग केंद्रीय स्तर पर जातीय जनगणना के लिए व्याकुल हो रहे हैं, वे बतायें कि 2011 में “किंग मेकर” लालू प्रसाद ने यूपीए सरकार पर दबाव डाल कर जातीय जनगणना क्यों नहीं करवा ली? उन्होंने कहा कि जो राहुल गांधी उस समय कैबिनेट से पारित विधेयक-प्रारूप की कॉपी फाड़ने की हैसियत रखते थे, उन्हें उस समय जातीय जनगणना करने का विचार क्यों नहीं आया?
सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और नीतीश कुमार कांग्रेस से पूछें कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पिछले पांच साल से सत्ता में रहने पर इन राज्यों में जातीय सर्वे क्यों नहीं कराया गया? उन्होंने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2015 में 200 करोड़ रुपये खर्च कर जो जातीय सर्वे कराया, उसकी रिपोर्ट जारी क्यों नहीं हुई? सुशील मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ सत्ता में रहते जातीय सर्वे क्यों नहीं कराया? उन्होंने कहा कि इंडी गठबंधन के नेताओं को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के समय जातीय जनगणना का विचार आ रहा है, जबकि बिहार में भाजपा के सरकार में रहते जातीय सर्वे कराने का निर्णय हुआ था।