चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा है

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 10 मई 2023 : पटना। जातीय गणना पर सरकार को हाईकोर्ट से झटका। जल्द सुनवाई की मांग वाली याचिका खारिज, 3 जुलाई को ही होगी सुनवाई । चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने इन मामलों पर सुनवाई की तिथि 3 जुलाई,2023 ही रखा है। महाधिवक्ता पी के शाही कोर्ट में सरकार का पक्ष रख रहे थे. पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से दायर की गई याचिका (इंट्रोलोकेट्री एप्लीकेशन) को स्वीकार कर लिया था. सुनवाई के लिए मंगलवार (9 मई) की तारीख दी गई थी. इस पर आज सुनवाई हुई है. कोर्ट की ओर से कहा गया कि पहले से तय तारीख तीन जुलाई को ही अगली सुनवाई होगी.

बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जातिगत गणना पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक पर कहा कि हमारी सरकार जातिगत गणना कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हम राज्य में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ये सर्वे कर रहे हैं. हम अपनी कोशिश जारी रखेंगे. याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि यचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं. प्रथम दृष्टया ये ‘पब्लिसिटी इंट्रेस्ट लिटिगेशन’ लगती है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि ये सर्वे आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इसी के आधार पर भविष्य में लोककल्याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी.

बिहार में जातिगत गणना पर कई सवाल उठ रहे हैं. सवल उठ रहा है कि क्या बिहार सरकार जातिगत गणना कराने की कार्यवाही की जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है? क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत गणना करवाए जाने का अधिकार देता है? क्या 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना गणना कानून 1948 के खिलाफ है? क्या कानून के अभाव में जाति गणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत गणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक दलों द्वारा एकसमान निर्णय से लिया गया हैं?
बिहार सरकार ने पिछले साल जातिगत जनगणना कराने का फैसला किया था. इसका काम जनवरी 2023 से शुरू हुआ था और इसे मई तक पूरा किया जाना था, लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस पर 3 जुलाई तक रोक लगा दी है.
