आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 28 नवंबर 2023 : परमपूज्य श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज द्वारा हजारों श्रद्धालुओं के साथ भगवान श्रीलक्ष्मीनारायण की आरती के साथ महायज्ञ की पूर्णाहुति का आरंभ हुआ। इसके बाद वैदिक पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच 125 कुंडों पर 1250 यजमानों पूर्णाहुति दी।
श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पूज्य गुरुदेव ने कहा कि जीवों पर दया, करुणा और प्रभु भक्ति का आश्रय ले सबकुछ पाया जा सकता है। यज्ञ भगवान श्रीमन्नारायण का स्वरूप है जिसके माध्यम से समस्त भौतिक और पारलौकिक उद्देश्यों की पूर्ति सहज संभव है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के नियमित अध्ययन एवं अनुशीलन से विपरीतताओं का शमन होता है और विकटतम परिस्थिति में भी समाधान मिल जाता है। सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पूज्य स्वामी जी ने बताया कि यह सभी आनंदों का मूल है। संतों की सेवा और सत्संग से परम कल्याण होता है।
यज्ञ समिति अध्यक्ष जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीशिवपूजन शास्त्री ने बताया कि कैमूर के बसिनी निवासी अग्रणी व्यावसायी संदीप कुमार सिंह मुन्ना के अग्रणी योगदान से संचालित अन्नपूर्णा आगार में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भोजन प्रसाद पाया। जिसके प्रबंधन में संजय शुक्ल गांधी, अधिवक्ता सतीश सिंह, पिण्टू सिंह, राजीव रंजन तिवारी, पंकज उपाध्याय, सोनू चौबे तथा वैदिक एजुकेशनल सोसायटी के स्वयंसेवक ज्ञान प्रकाश पाण्डेय, धर्मेंद्र तिवारी, ललन चौबे, वैभव उपाध्याय, गोपी कुमार चौबे, पंकज ओझा आदि ने अनथक श्रम किया।
वैश्विक ख्यातिलब्ध ज्योतिर्विद शास्त्री जी ने बताया कि पूज्य गुरुदेव श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज की पावन उपस्थिति में विश्वशांति के संकल्प के साथ आयोजित महायज्ञ एवं 12000 से अधिक लोगों द्वारा समवेत शंखघोष का अद्भुत प्रभाव पड़ा है। उन्होंने बताया कि इजरायल हमास युद्धविराम हुआ है जबकि प्रकृति ने भीषण हिमपात और तूफान उत्पन्न कर रुस यूक्रेन युद्ध को भी रोक दिया है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के प्रभाव से भारत तथा विश्व में अद्भुत सकारात्मकता के दर्शन होंगे।
उन्होंने बताया कि वैदिक यज्ञों के व्यापक प्रभावों पर पिछले 44 वर्षों से अध्ययन कर रहे जर्मन दार्शनिक जोखिम नुश्च भारत आए थे और उन्होंने यज्ञ में सात दिनों तक शोध एवं डाकुमेंटेशन किया। पूज्य स्वामी जी और श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ से अत्यंत प्रभवित श्री नुश्च अपनी रिपोर्ट यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय शांति संगठनों को भेजेंगे।
जगद्गुरु रामानुजाचार्य अयोध्यानाथ स्वामी, वैकुंठनाथ स्वामी, मुक्तिनाथ स्वामी के नेतृत्व में यज्ञ समिति के सचिव डा. धीरेन्द्र तिवारी तथा सदस्यों ने परमपूज्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज एवं पूज्य गुरुदेव की तनया का भावपूर्ण पाठ कर त्यागमूर्ति संतद्वय की अभ्यर्थना की।