आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 23 नवंबर 2023 : प्रख्यात श्रीवैष्णव परिव्राजक संत श्रीलक्ष्मीप्रपन्न जीयर स्वामी जी ने वाराणसी के मारुतिनगर में आयोजित श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ में श्रद्धालुओं को संबोधित अपने प्रवचन में कहा कि कथा जीवन का संविधान है, उसे संस्कारित करती है। प्रवचन के प्रथम दिन मानव जीवन और कथा की आवश्यकता पर बोलते हुए पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कथा कुमार्ग पर भटके या भटकने को प्रस्तुत मनुष्य को सत्पथ पर लाती है। उन्होंने कहा कि एक दुर्दांत अपराधी को नियंत्रण में लाने के लिए व्यवस्था और समाज अनेक प्रयत्न करते हैं करोड़ों रुपए खर्च करते हैं। लेकिन कथा में, सत्संग में, यज्ञ में शामिल कर यदि उसका हृदय परिवर्तन कर दिया जाय तो समाज का कितना भला होगा। कथा संसाधनों के सदुपयोग की प्रेरणा देती है।
क्रूर डाकू रत्नाकर कै महर्षि वाल्मीकि बनने की कथा कै माध्यम से स्वामी जी ने बताया कि सप्त ऋषियों के सत्संग, प्रेरणा और राम मंत्र नै रत्नाकर डाकू को महर्षि वाल्मीकि बना दिया। वै अनंतकाल तक भगवान राम की संतति के शिक्षक और आदि कवि कै रुप में अनंतकाल तक कै लिए प्रतिष्ठित हो गए।
स्वामी जी ने डाकू अंगुलिमाल को महात्मा बुद्ध और संत तुलसीदास को उनकी धर्मपत्नी रत्नावली द्वारा दिए गए उपदेश और उलाहना का उल्लेख करते हुए बताया कि बिना आत्म बोध के व्यक्ति का जीवन नहीं सुधरता। यज्ञ, तप, दान यह सब समाधान की प्रक्रिया हैं। जब हम अपने मन, वाणी, इन्द्रियों और आत्मा सै किए गए कर्मों को परमात्मा को अर्पित कर दैतै हैं तब कल्याण हीं कल्याण होता है।
स्वामी जी ने उद्धव, विदुर और दत्तात्रेय जी का उदाहरण देकर समझाया कि जीवन को सफल करने में गुरु का अत्यंत महत्व है। गुरु आत्मा और परमात्मा कै बीच संपर्क और संचार का माध्यम है। व्यक्ति गुरु को अपनी आत्मा समर्पित कर उनकी कृपा से इहलोक मैं सुखी जीवन व्यतीत कर अंतत: ईश्वर को प्राप्त करता है। संस्कृत भाषा को सनातन संस्कृति कै समस्त ज्ञान विज्ञान की संरक्षिका बताते हुए स्वामी जी ने कहा कि इस भाषा में लिखै ग्रंथों में जीवन कै शाश्वत सूत्र संरक्षित हैं। कथा इन्हीं सूत्रों से हमें अवगत कराती है। हमारा जीवन सफल बनाती है। स्वामी जी के प्रवचन में आयोजन समिति अध्यक्ष जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री शिवपूजन शास्त्री, स्वागताध्यक्ष सोमनाथ ओझा, उपाध्यक्ष संदीप कुमार सिंह मुन्ना, सचिव डा. धीरेन्द्र तिवारी, कोषाध्यक्ष यज्ञेश त्रिपाठी, शैलेन्द्र चौबे, गांधी जी सहित हजारों श्रद्धालु-भक्त उपस्थित थे।