नई दिल्ली: जहाँ एक ओर भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता से घोषित युद्धविराम को वैश्विक स्तर पर एक ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा था, वहीं अब पाकिस्तान के अंदर से एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना अपनी ही नागरिक सरकार द्वारा घोषित युद्धविराम के आदेशों का पालन नहीं कर रही है।

जानकारी के अनुसार, आज शाम 5 बजे से युद्धविराम लागू होने के बावजूद पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान सीमाओं पर ड्रोन गतिविधियाँ और गोलाबारी जारी रही। इससे यह संकेत मिलते हैं कि पाकिस्तानी सेना और प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की सरकार के बीच इस मुद्दे पर मतभेद हो सकते हैं।

आंतरिक सत्ता संघर्ष?

विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम पाकिस्तान में लंबे समय से चली आ रही “सैन्य बनाम नागरिक शासन” की खींचतान को उजागर करता है। पाकिस्तान की विदेश और रक्षा नीति पर सेना का प्रभुत्व ऐतिहासिक रूप से रहा है, और यह पहली बार नहीं है जब सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व के बीच मतभेद सामने आए हैं।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन भारतीय सैन्य बल स्थिति पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारत ने अब तक संयम बनाए रखा है, परंतु यदि उकसावे की कार्रवाई जारी रही तो प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की जाएगी।

अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने इस समझौते की घोषणा की थी, ने अब तक कोई नई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, अमेरिकी विदेश विभाग ने चिंता जताई है और दोनों देशों से समझदारी और संयम बरतने की अपील की है।

निष्कर्ष

यह घटनाक्रम न केवल युद्धविराम की वैधता पर सवाल उठाता है, बल्कि दक्षिण एशिया में एक स्थायी शांति की संभावना को भी खतरे में डालता है। यदि पाकिस्तान की सेना अपनी ही सरकार की बात नहीं मानेगी, तो यह कूटनीतिक प्रयास विफल हो सकते हैं।

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