आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 20 जुलाई 2022 : श्रीलंका में गहराते आर्थिक संकट  और राजनीतिक उथल – पुथल के बीच  संसद ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुन लिया है। 73 वर्षीय विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति बनने के बाद सांसदों का शुक्रिया जताया। उन्हें 225 सांसदों में 134 का समर्थन मिला। जबकि उनके खिलाफ उम्मीदवार बनाए गए सत्तारूढ दल के सांसद दुल्लास अलाहाप्पेरुमा को 82 सांसदों का समर्थन मिला। पांच दशक के राजनीतिक करियर में विक्रमसिंघे पहली बार राष्ट्रपति पद तक पहुंचे हैं। इससे पहले वे रिकॉर्ड छह बार प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।    

रानिल विक्रमसिंघे का जन्म 24 मार्च 1949 को श्रीलंका के कोलंबो में एक संपन्न परिवार में हुआ। पिता एस्मंड विक्रमसिंघे पेशे से वकील थे। इसके अलावा उनके चाचा जूनियस जयवर्धने श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रह चुके थे। विक्रमसिंघे के परिवार की पकड़ राजनीति , व्यापार के साथ मीडिया जगत में भी रही है।  1990 के दशक में। 1993 में राष्ट्रपति रानासिंघे प्रेमदास की हत्या के बाद रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने। 7 मई 1993 को रानिल ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि उनका पहला कार्यकाल महज एक साल ही चला। 1994 में हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी यूएनपी को चंद्रिका बंडारानयिके कुमारातुंगा की पीपुल्स अलायंस के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।    विक्रमसिंघे दूसरी बार 2001 से 2004 तक पीएम रहे। इसके बाद वे 2015 से 2019 के बीच अलग-अलग मौकों पर तीन बार पीएम पद पर रहे। अपने राजनीतिक करियर में विक्रमसिंघे छह बार पीएम रहे। उनका वर्तमान कार्यकाल इस साल मई में महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद शुरू हुआ था।

हालांकि, श्रीलंका में बढ़ते प्रदर्शनों की वजह से उन्हें जुलाई में ही इस्तीफा देना पड़ा।   श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद में पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी 2020 में हुए चुनाव में महज एक सीट है। देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद यूएनपी 2020 में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। यहां तक कि पार्टी अपने मजबूत गढ़ रहे कोलंबो में भी हार गई थी। इस सीट पर खुद रानिल विक्रमसिंघे ने चुनाव लड़ा था। बाद में वह क्यूमुलेटिव नेशनल वोट के आधार पर यूएनपी को आवंटित राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद पहुंच सके। यूएनपी के पास संसद में यही एक सीट है।इसके बावजूद मई 2022 में वे छठी बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने अपने भाई महिंदा राजपक्षे को पीएम पद से हटाने के बाद की। वह भी तब जब उनकी पार्टी के पास बहुमत से ज्यादा आंकड़ें हैं। 

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