आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 05 फरवरी 2023 : नई दिल्ली। पाकिस्तान के तानाशाह और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया। वे 79 साल के थे। मुशर्रफ लंबे वक्त से बीमार थे। दुबई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। मुशर्रफ 20 जून 2001 से 18 अगस्त 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे। मई 2016 में पाकिस्तान की एक अदालत ने उन पर देशद्रोह के आरोप लगाए थे। इसके बाद वो देश छोडक़र दुबई चले गए तो उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।

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मुशर्रफ कई महीने से अस्पताल में भर्ती थे। जून 2022 में उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर कहा था कि वे अमाइलॉइडोसिस नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। इसकी वजह से उनके सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। अमाइलॉइडोसिस में इंसान के शरीर में अमाइलॉइड नाम का असामान्य प्रोटीन बनने लगता है। यह दिल, किडनी, लिवर, नर्वस सिस्टम, दिमाग आदि अंगों में जमा होने लगता है, जिस वजह से इन अंगों के टिशूज ठीक से काम नहीं कर पाते। मुशर्रफ के परिवार ने तब एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी, जिसमें मुशर्रफ अस्पताल में बिस्तर पर लेटे हुए थे।

मुशर्रफ 1965 में भारत से लड़े थे युद्ध, कारगिल की साजिश रची

कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद 21 साल की उम्र परवेज मुशर्रफ ने बतौर जूनियर अफसर पाकिस्तानी आर्मी जॉइन कर ली। उन्होंने 1965 में भारत के खिलाफ जंग लड़ी। खास बात यह है पाकिस्तान यह जंग हारा। इसके बावजूद पाकिस्तान सरकार ने मुशर्रफ को मेडल दिया।

1971 की वॉर में मुशर्रफ की भूमिका

इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में फिर युद्ध हुआ और इस बार वॉर में परवेज मुशर्रफ की महत्वूपर्ण भूमिका रही। 1965 से लेकर 1972 तक मुशर्रफ ने कुलीन विशेष सेवा समूह में अपनी सेवाएं दीं। 71 की जंग में उनकी भूमिका को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने फिर से प्रमोशन दिया। भारत के साथ 1971 के युद्ध के दौरान, वह एसएसजी कमांडो बटालियन के कंपनी कमांडर थे। हालांकि, पाकिस्तान को इस युद्ध में भी हार का सामना करना पड़ा था।
ऐसे ही धीरे-धीरे परवेज मुशर्रफ जनरल के पद तक पहुंचे और उन्हें 7 अक्टूबर, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना प्रमुख के रूप में नियुक्त किया। मुशर्रफ को 9 अप्रैल, 1999 को अध्यक्ष संयुक्त चीफ्स स्टाफ कमेटी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।

1998 में परवेज मुशर्रफ जनरल बने। उन्होंने भारत के खिलाफ कारगिल की साजिश रची। जंग भी हारे और दुनिया में पाकिस्तान को बदनाम भी करा दिया। अपनी जीवनी इन द लाइन ऑफ फायर-अ मेमॉयर में जनरल मुशर्रफ ने लिखा कि उन्होंने कारगिल पर कब्जा करने की कसम खाई थी। लेकिन नवाज शरीफ की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए।

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