
By Rohtas Darshan Digital Desk | नई दिल्ली | Updated: November 6, 2025 :
रिलायंस एडीए ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी फिर ईडी के घेरे में
देश के उद्योग जगत की चर्चित हस्तियों में से एक अनिल धीरूभाई अंबानी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर आ गए हैं।
सरकारी जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग और बैंक फ्रॉड से जुड़े मामलों में अंबानी को 14 नवंबर को पूछताछ के लिए तलब किया है।
ईडी के सूत्रों ने बताया कि यह समन धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत जारी किया गया है, जो रिलायंस एडीए समूह से जुड़ी कई कंपनियों के वित्तीय लेनदेन की जांच से संबंधित है।
धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी की 132 एकड़ जमीन जब्त
ईडी ने इस सप्ताह की शुरुआत में नवी मुंबई स्थित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) की 132 एकड़ से अधिक जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया।
इस जमीन की अनुमानित कीमत ₹4,462.81 करोड़ बताई जा रही है।
इससे पहले भी एजेंसी ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस, और रिलायंस होम फाइनेंस से जुड़ी ₹3,083 करोड़ की 42 संपत्तियों को जब्त किया था।
ईडी के मुताबिक,
“अब तक कुल ₹7,545 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। एजेंसी अपराध से अर्जित धन को वास्तविक दावेदारों को लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
जांच का आधार: बैंकों से लिए गए लोन में हेरफेर का आरोप
जांच की नींव सीबीआई की एफआईआर पर रखी गई थी।
सीबीआई ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों —
RCom, Reliance Commercial Finance Ltd, और Reliance Home Finance Ltd — के खिलाफ धोखाधड़ी (IPC की धारा 420), साजिश (120B) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1989 की धारा 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है।
ईडी की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि
2010 से 2012 के बीच समूह की कंपनियों ने घरेलू और विदेशी बैंकों से हजारों करोड़ का लोन लिया, जिसमें से ₹40,185 करोड़ बकाया रह गए।
इनमें से पांच बैंकों ने ग्रुप के खातों को ‘फ्रॉड’ घोषित कर दिया था।
ईडी के अनुसार,
“कंपनी ने एक बैंक से लिए गए लोन की रकम का इस्तेमाल दूसरे बैंक से लिए गए लोन की अदायगी और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए किया, जो लोन की शर्तों का उल्लंघन है।”
राजनीतिक एंगल: सरकार पर ‘कॉरपोरेट सॉफ्टनेस’ के आरोप
इस पूरे मामले ने राजनीतिक हलचल भी तेज कर दी है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र सरकार “कॉरपोरेट घरानों के प्रति नरम रुख” अपनाए हुए है।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा —
“ईडी अगर सच में निष्पक्ष है, तो यह जांच केवल कागजों पर नहीं, अदालत में भी साबित होनी चाहिए।
जनता देख रही है कि कौन पूंजीपतियों को बचा रहा है और कौन पारदर्शिता की बात कर रहा है।”
वहीं भाजपा नेताओं ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि —
“मोदी सरकार में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा उद्योगपति क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।
ईडी की कार्रवाई सबूतों के आधार पर होती है, न कि राजनीतिक दबाव में।”
आर्थिक विश्लेषण: अंबानी ग्रुप पर दबाव बढ़ा
वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम भारतीय कॉर्पोरेट जगत को एक ‘सख्त नियामक संदेश’ है।
अगर जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो यह मामला भारतीय बैंकिंग सेक्टर के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड में से एक बन सकता है।
बिज़नेस विशेषज्ञों के मुताबिक,
“ईडी की जांच से एडीए ग्रुप की क्रेडिट रेटिंग, लोन प्राप्ति और विदेशी निवेशकों पर सीधा असर पड़ेगा।
इससे ग्रुप की पुनर्गठन योजनाओं पर भी खतरा मंडरा रहा है।”
पृष्ठभूमि: आर्थिक संकट और कर्ज में डूबा आरकॉम
रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) कभी देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी थी।
लेकिन 2016 के बाद बढ़ते घाटे और जियो के आगमन के बाद कंपनी बुरी तरह कर्ज में डूब गई।
2019 में आरकॉम को दिवालिया घोषित कर दिया गया था और इसके बाद अनिल अंबानी पर ₹40,000 करोड़ से ज्यादा का कर्ज चढ़ा।
अब ईडी की कार्रवाई से एक बार फिर समूह की वित्तीय स्थिति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।


