2005 में नोकरी की खोज में गया था पंजाब, भटकते- भटकते पहुंच गया पाकिस्तान

2021 में भतीजा को मिली जानकारी तो जिला प्रशासन से लगाई गुहार

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 26 अक्टूबर 2022 : सुपौल। प्रतापगंज प्रखंड के भवानीपुर दक्षिण पंचायत के वार्ड नंबर 3 निवासी श्यामसुंदर दास 17 साल बाद दिवाली के दिन अपने घर पहुंचे। श्यामसुंदर के घर पहुंचते ही परिजनों में दीपावली की खुशियां दोगुनी हो गई। प्रतापगंज पुलिस ने श्यामसुंदर को पंजाब पुलिस के हवाले से उसे लाकर उसके घरवालों को सौंप दिया। 17 साल पहले वह नोकरी की खोज में पंजाब गए थे। वहां एक दिन घूमने के दौरान गलती से भारत-पाक बॉर्डर तक पहुंच गए। इसके बाद उनको पता ही नहीं चला कि वह पाकिस्तान पहुंच चुके हैं। वहां उनको गिरफ्तार कर सेंट्रल जेल लाहौर में बंद कर दिया गया। जानकारी के अनुसार 2005 में पढ़ाई छोड़कर श्यामसुंदर मजदूरी करने पंजाब गए थे। इसी दौरान एक दिन श्यामसुंदर बॉडर घूमने अकेले चला गया। भटकते-भटकते वह पाकिस्तान पहुंच गया। उसे पता भी नहीं चला कि वो दूसरे देश पहुंच चुका है। पाकिस्तान की सेना की नजर श्यामसुंदर पर पड़ी और पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद उसे जेल की सलाखों में डाल दिया गया। इधर, उनका कुछ पता नहीं चल पाने के कारण उनके वापस आने के इंतजार में वृद्ध पिता व स्वजनों ने श्यामसुंदर के जिंदा होने की आस छोड़ दी। लेकिन दीपावली के दिन श्यामसुंदर को घर पर देख परिजन खुशी से झूम उठे।

2021 में भतीजे को मिली जानकारी तो सुपौल प्रशासन से लगाई गुहार

श्यामसुंदर के पाकिस्तान के जेल में होने का पता 2021 में उनके भतीजे अमृत दास को चला था। अमृत नौकरी के लिए सऊदी अरब गए। वहां से भारत व पाकिस्तान के दूतावास से संपर्क साधते हुए जिला प्रशासन सुपौल से मदद की गुहार लगाई। इससे पहले श्यामसुंदर के पिता भागवत दास ने पंजाब जाकर काफी खोजबीन की थी। कुछ पता नहीं चलने से वे निराश होकर घर लौट आए। इधर, उनका भतीजा अमृत व उसका साथ दे रहे दोस्त संतोष दास की मेहनत रंग लाई। सारे साक्ष्य व सही दस्तावेज को एकत्रित कर उसे संबंधित जगहों पर पहुंचाया जिसके बाद पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास के माध्यम से सेंट्रल जेल लाहौर के वार्ड नंबर 22 में रह रहे श्यामसुंदर को 29 सितंबर को पंजाब के वाघा बॉडर से भारतीय सेना को सुपुर्द किया। इसके बाद अमृतसर स्थित गुरुनानक देव अस्पताल के रेडक्रॉस सोसायटी को सुपुर्द कर दिया गया। इसके बाद गृह जिला सुपौल में ले जाने का पत्र जारी किया गया। 17 साल बाद श्यामसुंदर के पाकिस्तान से रिहा होकर घर पहुंचने पर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व दोनों देशों के दूतावास के कर्मियों का आभार जताया है।

पांच साथी के साथ बोर्डर पार कर गए थे श्यामसुंदर- मानसिक रूप से कमजोर श्यामसुंदर पांच दोस्त के साथ 2005 मे मजदूरी करने पंजाब के अमृतसर शहर गया था। एक दिन धूमने के दौरान गलती से बोर्डर पार कर पाकिस्तान चला गया। उसके बाद पाकिस्तानी सेना ने सभी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में रखा। पाकिस्तान में पकड़े जाने के बाद श्यामसुंदर के सभी साथियों को पूछताछ और अन्य सबूतों के आधार पर 6 महीने के बाद रिहा कर वापस भारत भेज दिया गया। लेकिन श्यामसुंदर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण वह पाक अधिकारियों को सही जानकारी नहीं दे पाए पाकिस्तान ने भारतीय दूतावास से श्यामसुंदर के भारतीय होने का सबूत भी मांगा लेकिन उसके घर परिवार की सही जानकारी नहीं मिल पाई और 17 साल तक जेल में बंद रहे।

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