बिहार में अप्रैल,2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी कानून का असर कम होता देख मुख्यमंत्री हुए सख्त

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 08 नवम्बर 2022 : बिहार में अप्रैल,2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी कानून का असर कम होता देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज शराब की आपूर्ति और बिक्री के खिलाफ अभियान को और तेज करने का निर्देश पुलिस व मद्यनिषेध विभाग को दिया है। अब  शराब पीनेवालों से ज्यादा सख्ती इसके धंधेबाजों पर होगी। 

सोमवार को शराबबंदी की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि शराब के सप्लायर, तस्कर और बेचने वालों पर प्राथमिकता के आधार पर कार्रवाई करें। 

मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने समीक्षा बैठक के बाद सूचना भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

मुख्य सचिव ने कहा कि पीनेवालों की अपेक्षा शराब की तस्करी और इसके धंधे में लिप्त लोगों को गिरफ्तार करना और उन्हें सजा दिलाना सरकार की प्राथमिकता होगी। पर, ऐसा नहीं है कि शराब पीनेवालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएगी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ किया कि शराबबंदी कानून को कोई बदलाव नहीं होने जा रहा। शराबबंदी कानून के तहत पहली बार पीकर पकड़े लोगों को जुर्माना लेकर छोड़ने के लिए दंडाधिकारी की नियुक्ति अबतक नहीं होने के मामले पर उन्होंने कहा कि यह काम जुडिशियल मजिस्ट्रेट के स्तर पर हो रहा है। संशोधन का जो उद्देश्य था वह पूरा हो रहा है।

350 खास लोग भी पकड़े गए

मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन का उद्देश्य ही इसके धंधे में लिप्त लोगों को सख्ती करना है। हमनें शराब की सप्लाई चेन को ध्वस्त करने पर विशेष ज्यादा ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि दोबारा शराब पीनेवालों के साथ धंधे में लिप्त लोगों को सजा दिलाने पर काम हो रहा है। कई लोगों को 10, 8 और 5 वर्ष की सजा हुई है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के उल्लंघन में अक्टूबर में 20 हजार से ज्यादा गिरफ्तारी हुई है। इसमें 350 डॉक्टर, इंजीनियर, सरकारी सेवक और जनप्रतिनिधि जैसे खास लोग भी शामिल हैं।

दूसरे राज्यों से पकड़े गए 90 शराब माफिया

आईजी मद्यनिषेध अमृत राज ने कहा कि पुलिस शराब के सप्लायर और उसके रिसिवर की पहचान कर गिरफ्तारी कर रही है। 90 से ज्यादा शराब सप्लायर विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार किए गए हैं। वहीं बिहार में 60 हजार ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई है। हमारा फोकस शराब के बड़े धंधेबाजों को सजा दिलाना है। एक अणे मार्ग में हुई समीक्षा बैठक डीजीपी एसके सिंघल और एडीजी विशेष शाखा सुनील कुमार समेत अन्य वरीय अधिकारी मौजूद थे।

मालूम हो कि सीएम नीतीश कुमार ने सभी राजनीतिक दलों की आमसहमति और शराबबंदी को पूरा सहयोग देने के भरोसे पर अप्ल,2016 में विशेष औन 100 वर्ष पुराने कानून को निरस्त कर नया शराबंदी कानून लागू किया था। इसके तहत शराब का सेवन,भंडारण, खरीद-फरोख्त और बनाने को संग्येय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस कानून के लागू होने के बाद खुले तौर पर शराब पीना तो बंद हो गया पर कारोबार नहीं रुका। स्थानीय पुलिस की संलिप्तता से बिहार में शराब का 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का काला धंधा चल रहा है।सीएम के स्तर पर एक दर्जन से अधिक बैठकों में लिए गये निर्णय-निर्देश के रहते शराब की होम डिलवरी की आम चर्चा हो रही है।  कारोबारियों के लिए  अत्यधिक मुनाफे के इस धंधे का नेटवर्क गांव-गांव तक काम कर रहा है। सरकारी खजाने पर शराबंदी का बोझ बढने के बाबजूद सीएम ने अपनी अच्छी जिद के रूप में हरहाल में गरीबों एवं समाजहित में इसे जारी रखने की ठान रखी है।

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