शराबबंदी लागू होने के बाद से जिनकी मृत्यु जहरीली शराब पीने से हुयी है, उनके आश्रितों को मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जायेगी 4 लाख रुपये- मुख्यमंत्री

आर० डी० न्यूज़ नेटवर्क : 18 अप्रैल 2023 : पटना : बिहार में शराबबंदी लागू करने के तौर-तरीके पर शुरू से ही सवाल होता रहा है। बीते सात वर्षों से शराबबंदी के लेकर कठिन चुनौती का सामना कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अच्छी जिद को लेकर इसे समाप्त करने को तैयार नहीं हैं। कोर्ट की फटकार और आलोचना, विपक्ष के तंज और विरोध और सहयोगियों की दबी जुबान सलाह के आगे मुख्यमंत्री ने जहरीली शराब से मौत होने पर पीड़ित परिवार की सुधि लेने की ठानी है। यह शराबबंदी लागू होने के बाद मुख्यमंत्री के पीछे हटने का दूसरा बडा कदम है। पहला कदम शराब पीने पर पहली बार पकड़े जाने पर थाने से ही जमानत पर छोड़ देने का लिया गया है। वस्तुतः सख्त कानून के बल शराबबंदी लागू करने का परिणाम निराशाजनक रहा है। नित्य शराब की खेप और मनमानी कीमत पर इसकी होम डिलवरी से कोई भी इंकार नहीं कर सकता। शराब माफिया का आगे प्रशासन बौना हो गया है। एक ओर शराबबंदी से सरकारी खजाने को सैकडों अरब की चपत लग रही है, वहीं प्रशासनिक महकमा और कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। अब तो बाहर से शराब की खेप के साथ शराब बनाने का गोरखधंधा भी फलफूल रहा है।शराबंदी कानून के उल्लंघन से संबंधित पांच लाख से अधिक केस का बोझ से कोर्ट परेशान है। अधिसंख्य गरीब और कमजोर वर्ग के ही लोग केस में फंसे और गिरफ्तार हुए हैं। शराबबंदी लागू होने के बाद इसके फायदे संबंधी रिपोर्ट वास्तविकता को चिढाते रही है। 

लोकसभा चुनाव निकट आते देख जहरीली शराब से मौत पर मुआवजा देने की घोषणा के साथ सियासी राजनीति होना स्वाभाविक है। हाल तक शराब पीओगे तो मरोगे के सरकारी रुख में बदलाव के साथ अब केस भी वापस लेने की मांग भी विचारणीय है। शराबबंदी संबंधी कानून भी मुआवजा का प्रावधान है।पर यह मुआवजा जहरीली शराब के कारोबारी से वसूल कर दिया जाना है। इसी तरह के मामले में पहली बार सरकार ने गोपालगंज में सरकारी खजाने से मदद दी गयी थी ।अब इसका व्यापक विस्तार होना है।

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